महिला उत्पीड़न के बढ़ते मामलों पर गंभीर हुई आयोग की टीम, थानों की कार्यशैली पर उठे सवाल
खबर दस्तक
सीतामढ़ी :
जिले में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध और पुलिस की कार्यशैली पर लगातार उठते सवालों के बीच सोमवार को राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने सीतामढ़ी समाहरणालय पहुंचकर बड़ा कदम उठाया। टीम ने जिले के सभी अनुमंडल पुलिस अधिकारियों (डीएसपी), थानाध्यक्षों और संबंधित पुलिस निरीक्षकों को तलब करते हुए महिला उत्पीड़न से जुड़े मामलों की फाइलों के साथ उपस्थित होने का निर्देश दिया। बैठक के दौरान महिला आयोग की अध्यक्षता में एक-एक थानेदार की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए। कई मामलों में अत्यधिक देरी, शिकायतकर्ताओं की अनदेखी और कार्रवाई में लचर रवैये को लेकर जब तीखे सवाल पूछे गए, तो कई अधिकारी जवाब नहीं दे सके। कुछ की तो मौजूदगी में ही फटकार लगी और चेतावनी दी गई कि यदि आगे से किसी महिला उत्पीड़न मामले में कोताही पाई गई तो सख्त विभागीय कार्रवाई तय है।
महिला सुरक्षा पर “जीरो टॉलरेंस” नीति की चेतावनी ::
राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रतिनिधियों ने साफ कर दिया कि महिला सुरक्षा के मामले में आयोग की नीति “जीरो टॉलरेंस” की है। किसी भी प्रकार की लापरवाही, ढिलाई या संवेदनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। टीम ने जिले के सभी थानों को निर्देश दिया कि आगामी दिनों में अपने-अपने क्षेत्र में दर्ज महिला उत्पीड़न, यौन शोषण, दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा सहित अन्य मामलों की अद्यतन रिपोर्ट आयोग को सौंपी जाए। बैठक में जिला प्रशासन से भी महिला सुरक्षा और संरक्षण से जुड़ी समेकित रिपोर्ट मांगी गई है। आयोग की टीम ने जिला प्रशासन से पूछा कि क्या जिले में महिला हेल्प डेस्क, महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम, और काउंसलिंग यूनिट्स सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। यदि नहीं, तो उसके लिए समुचित कदम क्यों नहीं उठाए गए। राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने इस दौरान यह भी कहा कि केवल मामलों की रिपोर्टिंग से समाधान नहीं निकलेगा। आवश्यकता है ज़मीनी स्तर पर महिला जागरूकता अभियान चलाने की, ताकि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सजग हों और बिना किसी भय के पुलिस-प्रशासन तक अपनी बात पहुंचा सकें। इस उच्चस्तरीय कार्रवाई को जिले में महिला सुरक्षा को लेकर जवाबदेही बढ़ाने और पुलिस प्रणाली को अधिक संवेदनशील बनाने की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। महिला आयोग की सक्रियता से यह स्पष्ट संकेत गया है कि अब महिला संबंधी अपराधों को हल्के में लेने वाली पुलिस इकाइयों की खैर नहीं।