- मधुबनी सदर अस्पताल को नहीं मिला अधीक्षक एवं उपाधीक्षक वर्षों से रिक्त है दोनों पद
खबर दस्तक
मधुबनी
मधुबनी सदर अस्पताल में विगत छः वर्षों से अधीक्षक एवं चार वर्षों से उपाधीक्षक का पद रिक्त है। विडंबना यह है, कि छः वर्षों के बाद भी विभाग द्वारा अब तक अधीक्षक एवं उपाधीक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में एक्टिव उपाधीक्षक बनाकर अस्पताल के चिकित्सकीय प्रबंधन सहित अन्य कार्यों का निष्पादन किया जा रहा है। ऐसे में सदर अस्पताल में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय प्रबंधन की कवायद कल्पना से परे है। इतना ही नहीं सदर अस्पताल में चिकित्सकों के स्वीकृत पद 64 के एवज में 45 चिकित्सक पदस्थापित हैं। इसमें आधा दर्जन चिकित्सक विशेष पठन-पाठन के लिए लंबी छुट्टी पर अवकाश हैं।
वर्तमान में 39 चिकित्सक कार्यरत हैं। सरकार द्वारा सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा व्यवस्था एवं स्वच्छ वातावरण के लिए वर्ष 2023 में मिशन 60 डे के बाद मिशन क्वालिटी के तहत कई विकास कार्य किया गया, लेकिन एक अदद अधीक्षक एवं उपाधीक्षक के लिए आज भी सदर अस्पताल सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठा है।
विदित हो कि सदर अस्पताल में 1 अक्टूबर 2019 से अधीक्षक का पद रिक्त है। वहीं 2021 से उपाधीक्षक का पद रिक्त है। इसके कारण समय-समय पर सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सा पदाधिकारी को अधीक्षक का प्रभार देकर एक्टिंग उपाधीक्षक के रूप में कार्य लिया जा रहा है। ऐसे में सदर अस्पताल में प्रभारी उपाधीक्षक को भी ओपीडी के संचालन करने की मजबूरी होती है। इतना ही नहीं उपाधीक्षक एवं अधीक्षक कि नियुक्ति नहीं होने के कारण अस्पताल के कई विकासात्मक कार्यों का समय से प्रबंधन करने में परेशानी होती है।
एक्टिंग उपाधीक्षक को किसी भी तरह के फैसले लेने के लिए सीएस की अनुमति का इंतजार करना पड़ता है, या यूं कहे की एक्टिंग उपाधीक्षक को केवल अस्पताल का संचालन की देखरेख करने की ही जिम्मेदारी है। कमोबेश यही स्थिति जिले के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों का भी है। जिले के चार अनुमंडलीय अस्पतालों में भी उपाधीक्षक का पद वर्षों से रिक्त है। लिहाजा अस्पताल के सुचारू रूप से संचालन के लिए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को ही अनुमंडलीय अस्पताल का उपाधीक्षक का प्रभार दिया गया है।
- 64 के विरुद्ध 45 चिकित्सक पदस्थापित :
विदित हो कि सदर अस्पताल में अधीक्षक एवं उपाधीक्षक सहित 64 चिकित्सकों का पद स्वीकृत है। इसके एवज में सदर अस्पताल में 45 चिकित्सक पदस्थापित हैं, जबकि कार्यरत 39 चिकित्सक है। ऐसे में अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराई जा रही है।
विदित हो कि सदर अस्पताल में प्रतिदिन 5 सौ से 600 मरीजों का ओपीडी में पंजीकरण होता है। इसका इलाज ओपीडी में तैनात चिकित्सक द्वारा किया जाता है। सदर अस्पताल में वर्तमान में रेडियोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिक व चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक की नियुक्ति नहीं होने के कारण अल्ट्रासाउंड रहने के बाद भी सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड के लिए आने वाले मरीजों को एक से दो महीने का समय दिया जाता है।
हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दो तीन चिकित्सकों को अल्ट्रासाउंड के लिए प्रतिनियुक्त किया गया है, लेकिन इन चिकित्सकों द्वारा भी प्रतिदिन महज 15 से 20 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड हो पा रहा है, जबकि दर्जनों मरीजों को चिकित्सकों द्वारा अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी जाती है, ऐसे में मरीज निजी अल्ट्रासाउंड की ओर अपना रुख करते हैं। आलम यह है कि सदर अस्पताल रोड में स्थापित निजी अल्ट्रासाउंड क्लीनिक में प्रतिदिन सदर अस्पताल के दर्जनों मरीजों का अल्ट्रासाउंड कर उनका आर्थिक दोहन किया जा रहा है, ऐसे में सरकार की ओर से गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने की कवायद केवल कोरी कल्पना ही साबित हो रहा है।
- उपलब्ध संसाधनों से किया जा रहा है इलाज :
सिविल सर्जन डाॅक्टर हरेंद्र कुमार ने कहा कि अधीक्षक एवं उपाधीक्षक के पदस्थापन नहीं होने से कुछ कठिनाई हो रहा है, लेकिन वरीय चिकित्सकों के सहयोग एवं उपलब्ध संसाधनों से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को बेहतर व गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराया जा रहा है।