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मधुबनी :
जाने माने लेखक और बिहार के कला जगत में आरुणी के रूप में अपनी ख्याति स्थापित कर चुके कला मर्मज्ञ अशोक कुमार सिन्हा की पुस्तक “आँसुओं के साथ रंगों का सफ़र ” का लोकार्पण जिले के गोकुल राज होटल में किया गया।
बताते चलें कि मधुबनी की धरती में पल्लवित पुष्पित मिथिला लोकचित्रकारी को समर्पित और अशोक कुमार सिन्हा द्वारा लिखित उक्त पुस्तक का लोकार्पण पद्मश्री बौआ देवी, पद्मश्री दुलारी देवी, पद्मश्री शिवन पासवान, डॉ नरेंद्र नारायण सिंह निराला जैसे साहित्यकारों और ख्यातिलब्ध चित्रकारों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
इस अवसर पर अपनी पुस्तक के बारे में जानकारी साझा करते हुए पुस्तक के लेखक अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि मिथिला पेंटिंग की उपलब्धियाँ शानदार हैं, लेकिन इसके कलाकारों को नायक का दर्जा नहीं मिल सका है। कलकारों के जीवन संघर्ष को सम्मान देने और रचनाधर्मिता पर गर्व करने से परिस्थितियाँ कुछ और होती. इस कार्य को समर्पित पुस्तकों की कमी रही है, जिसे पूरा करने के लिए मैंने “आँसुओं के साथ रंगों का सफ़र” नाम से किताब लिखी है।
इस पुस्तक का सबल पक्ष है “नायकत्व की नई अवधारणा” जिसकी पृष्ठभूमि में पुस्तक का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
लोकार्पण के मौके पर अपनी शुभेक्षा प्रकट करते हुए डॉ निराला ने कहा कि अशोक सिन्हा भावनाओं को शब्दों में गढ़ने का हुनर रखते हैं। उन्होंने लोकार्पित पुस्तक को कलाकारों के साथ-साथ कला अनुरागियों के लिए भी उपयोगी बताया।
ज्ञातव्य हो कि ग्राम चांदी, जिला भोजपुर में जन्म लेने वाले अशोक कुमार सिन्हा वर्तमान में बिहार संग्रहालय, पटना के अपर निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व में वे उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना में निदेशक और बिहार राज्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, पटना में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद को भी सुशोभित कर चुके हैं। 1999 से जारी अपनी लेखनी के क्रम में श्री सिन्हा द्वारा 30 साहित्यिक पुस्तकों और 10 कला संबंधी पुस्तकों का लेखन भी किया जा चुका है, साथ ही इन्होंने नौ विख्यात पुस्तकों का संपादन कार्य भी किया है। इन्हें इनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए दर्जनों पुरस्कारों से भी नवाज़ा जा चुका है।
क्राफ्ट चौपाल कौंसिल, पटना द्वारा प्रकाशित और आज के दिन लोकार्पित पुस्तक में जहाँ मधुबनी और मिथिला के लोकचित्रकारी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक मिलती है। वहीं, लेखक की कोशिशों में स्थानीय लोक जीवन के सूक्ष्म बारीकियों का ऐतिहासिक दस्तावेजीकरण भी सहज समाहित है।
इस पुस्तक “आँसुओं के साथ रंगों का सफ़र” में नाम के अनुरूप ही जिले के 25 ख़्यातिलब्ध महिला चित्रकारों की कला यात्रा का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया है। इनमें जगदम्बा देवी, सीता देवी, गंगा देवी, महासुंदरी देवी, बौआ देवी, गोदावरी दत्त, दुलारी देवी एवं शांति देवी (सभी पद्म पुरस्कार प्राप्त कलाकार) के साथ साथ जमुना देवी, कर्पूरी देवी, शशिकला देवी, लीला देवी, चानो देवी, विमला दत्त, यशोदा देवी, उर्मिला देवी, शांति देवी झा, मोती कर्ण, महानमा देवी, आशा झा, विभा दास, मनीषा झा, उर्मिला देवी, रानी झा और ज्योति सिन्हा के नाम शामिल हैं।
समारोह के दौरान जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी नीतीश कुमार, मोती कर्ण, मनीषा झा, कौशिक झा, ज्योति सिन्हा, शशिकला देवी ने अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन डॉ अभिषेक कुमार ने किया।