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मधुबनी :
राष्ट्रीय कवि संगम एवं हिन्दी साहित्य समिति मधुबनी के तत्त्वावधान में कबीर जयंती के पावन अवसर विहान कंसल्टेंसी सुन्दर नगर मधुबनी के सभागार में दो सत्रों में कबीर को समर्पित साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन हुआ। प्रथम सत्र में वर्तमान में कबीर की प्रासंगिकता विषय पर संगोष्ठी एवं द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी महत्वपूर्ण रही कवि गोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. लाल बाबू साह एवं संचालन कवयित्री अनुपम झा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को दो सत्रों में आयोजित किया गया। आरंभ में राष्ट्रीय कवि संगम मधुबनी के अध्यक्ष कवि प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल ने आगत कवि-कवयित्री एवं प्रबुद्ध जनों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। विचार गोष्ठी का विषय प्रवेश हिन्दी साहित्य समिति के संयोजक यायावर कवि पंकज सत्यम द्वारा किया गया। उन्होंने वर्तमान में कबीर दास की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि कबीर निर्गुण भक्ति के महान उपासक थे, जो सभी धर्मों के लोगों के लिए प्रासंगिक है।
मौके पर बैंक पूर्व अधिकारी वेदानंद साह ने कहा कि उनका अनुभव बहुत विस्तृत था और रूढ़िवादी तथा दीर्घ समाज के लिए उन्होंने सकारात्मक चेतना को जागृत किया।
वहीं, राजेश पांडेय ने कहा कि कबीर दास और तुलसीदास समकालीन थे जिन्होंने प्रेम को सबसे ऊपर रखा।
वहीं, प्रभाष कुमार मिश्रा ने कहा कि कबीर दास आध्यात्म और समाज सुधार के लिए समन्वित रूप प्रयास किया।
वहीं, डॉ. विनय विश्व बंधु ने कहा कि कबीर दास ने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए सार्थक प्रयास किया।
वहीं, सुभाष चंद्र झा सिनेही ने कहा कि कबीर दास के पास विशाल अनुभव का भंडार था।
मौके पर विजय कुमार रावत ने कहा कि कबीर ने समाज में पहले कुरीतियों को ठीक करने पर बल दिया।
वहीं, डॉ. शुभ कुमार वर्णवाल ने कहा कि कबीर महान् संत, कवि और समाज सुधारक थे। कबीर प्रेम करुणा और सहानुभूति के महत्व पर जोर दिया जो आज भी प्रासंगिक है।
वहीं, अनुपम झा ने कहा कि कबीर दास ने मानवता स्थापित करने का कार्य किया वे समाज से जाति-धर्म हटाकर प्रेम स्थापित करना चाहते थे।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. लाल बाबू साह ने कहा कि कबीर राम में निराकार ब्रह्म को देखते थे। विचार गोष्ठी के उपरांत कविगोष्ठी की शुरुआत अनुपम झा के सस्वर सरस्वती वंदना ॐ श्वेतांबरी माता जगत वीणापाणिनी, सृष्टि के कण-कण में माता तेरी वाणी गूंजती से की गई जो माहौल को सरस्वतीमय बना दिया। इनकी दूसरी प्रस्तुति उड़ती हूँ मगन हो मस्त गगन दिखती खिलती मधुबन उपवन सभी को आत्ममुग्ध कर दिया। सुभाष चंद्र झा ‘सिनेही, पंकज सत्यम ‘महफिलों में वो बेमन ही सही मुस्कुराता तो है ने लोगों के समक्ष आज की छवि को सामने लाकर रख दिया।
वहीं, डॉ. विनय विश्व बंधु, डॉ. शुभ कुमार वर्णवाल सरल-तरल जल का स्वभाव जल निर्मलता खान प्यासे को मन तृप्त करे जल जीवन है प्राण सबको पानी के महत्व की ओर ध्यान आकृष्ट किया।
अध्यक्ष प्रो. लाल बाबू साह ने कहा कबीर के योगदानों को हम सभी को याद रखकर समाज में एकता और प्रेम को स्थापित करना चाहिए। इसके साथ ही महान् संत कबीर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गोष्ठी के समापन की घोषणा की गई। धन्यवाद ज्ञापन ज्योति कुमारी द्वारा दी गई।