DARBHANGA / UNIVERSITY NEWS :
दरभंगा : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार चौधरी के आदेश से गत माह पुनर्गठित ‘आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी)’ के तत्वावधान में विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग में “लैंगिक संवेदनशीलता” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रजाइडिंग ऑफिसर प्रो. मंजू राय ने कहा कि युवा लैंगिक संवेदनशील बने, सबके साथ सम्मान पूर्ण व्यवहार करें और इस बदलाव की शुरुआत अपने ही घर से प्रारंभ करें। कार्यस्थल का भी माहौल ऐसा बनाएं कि महिलाएं सुरक्षित महसूस करें। तेजी से बदलते समाज में माता-पिता अपने संतानों को लैंगिक रूप से संवेदनशील एवं अंदर से मजबूत बनाएं, ताकि उनकी बच्चियां भी हर परिस्थितियों का डटकर सामना कर सकें। उन्होंने छेड़खानी को मानसिक बीमारी बताते हुए छात्र-छात्राओं को विश्वास दिलाया कि यदि किसी को वास्तविक रूप में लैंगिक समस्या की शिकायत हो, तो मेरे पास जरूर आएं। उनकी हर शिकायतों का त्वरित जांच कर समुचित समाधान किया जाएगा।
आंतरिक शिकायत समिति की सदस्य एवं पीजी मनोविज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. मनसा कुमारी सुल्तानिया ने अपनी पढ़ाई एवं नौकरी प्राप्ति की कठिनाइयों की चर्चा करते हुए बताया कि आज छात्राएं सभी क्षेत्रों में आगे आ रही हैं। स्त्री पुरुष एक-दूसरे का साथ दें एवं सम्मान करें। मन में किसी के प्रति पूर्वाग्रह न पाले और न ही मन में इगो ले।
सी.एम. कॉलेज, दरभंगा की हिन्दी प्राध्यापिका डॉ. बिन्दु चौहान ने लैंगिक संवेदनशीलता का व्यावहारिक पक्ष रखते हुए कहा कि समाज हमेशा से अपने बनाए परंपरागत खांचे में ही लड़कियों को ढालना चाहता है। भारतीय परंपरा अर्धनारीश्वर का है। महिलाएं कोई वस्तु नहीं हैं, बल्कि किसी की बेटी, बहन, मां या पत्नी होती हैं। हर व्यक्ति में संवेदना होती है, जिसे जागृत करने की जरूरत है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से संकल्प लेने का आह्वान किया कि हम हमेशा लैंगिकता के प्रति संवेदनशील रहेंगे तथा किसी के साथ बुरा व्यवहार होने पर सब उसके साथ खड़े रहेंगे।
वहीं, एमएलएसएम कॉलेज, दरभंगा की रसायनशास्त्र प्राध्यापिका डॉ. अंजू कुमारी ने कहा कि पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों के कमतर होने का कोई जैविक या वैज्ञानिक आधार नहीं है। नारी सशक्तिकरण एवं संघर्ष के बल पर लैंगिक भेदभाव, शोषण एवं दमन को पूर्णतः मिटाना होगा। शिक्षा एवं जागरूकता से ही नारी अपने अधिकारों, सरकारी सुविधाओं एवं कानूनों का समुचित लाभ ले सकती हैं। शिक्षित नारी ही अंधविश्वास को छोड़कर अपने बच्चों को शिक्षित कर नए समाज का निर्माण कर सकेगी, साथ ही शिक्षा से उनके प्रति समाज में दोयम दर्जे का व्यवहार भी बंद हो सकेगा।
वहीं, डब्लूआईटी की उपकुलसचिव डॉ. प्रियंका राय ने सभी मानव को एक ही परमात्मा की संतान बताते हुए कहा कि लोग अपने मूल स्वरूप से भटक गए हैं। युवा मानवतावादी बने और अपने परिवार की तरह ही समाज में भी स्नेहपूर्ण व्यवहार करें, क्योंकि हमारा संस्कार वसुधैव कुटुंबकम् का है।
वहीं, विषय प्रवेश करते हुए डॉ शांभवी ने ‘लैंगिक संवेदनशीलता’ विषयक कार्यशाला की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए आंतरिक शिकायत समिति के गठन के उद्देश्यों, भावी योजना एवं कार्य-प्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के प्रीवेंशन आफ सेक्सुअल हैरासमेंट एक्ट, 2013 के आधार पर भारत के सभी विश्वविद्यालयों में आईसीसी का गठन किया गया है, जिसके द्वारा समय-समय पर कार्यशाला, सेमिनार तथा अन्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्कृत प्राध्यापिका डॉ. ममता सनेही ने कहा कि हमें न्याय प्रिय होकर जो व्यवहार हमें पसंद नहीं, उन्हें दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए। हमें सही-गलत की पहचान अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आईसीसी का गठन यूजीसी द्वारा 2015 में किया गया, ताकि कार्यस्थल पर एक स्वस्थ माहौल बने और अधिकतम कार्य संपादन हो सके।
इस अवसर पर डॉ. अमरेन्द्र शर्मा, डॉ. मोना शर्मा, आईसीसी के सदस्य रानी झा, प्रियंका सरकार एवं ऋद्धि कुमारी, पदमा श्री, त्रिदीप दास, शशांक शेखर, उत्साह निषाद सहित 80 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।
अतिथियों का स्वागत पाग, चादर एवं पौधा प्रदान कर किया गया।
मंगलाचरण संस्कृत शोधार्थी रंजेश्वर झा ने किया।
अंग्रेजी के जेआरएफ एवं शोधार्थी ज्योति कुमारी के संचालन में आयोजित कार्यशाला में अतिथियों का स्वागत संस्कृत प्राध्यापक डॉ. आर.एन. चौरसिया ने किया।