- पेपरलेस सिस्टम से बढ़ेगी पारदर्शिता
खबर दस्तक
मधुबनी :
मधुबनी जिले में फाइलेरिया मरीजों की निगरानी और प्रबंधन का काम अब डिजिटल प्लेटफॉर्म आईएचआईपी (इंटीग्रेटेड हेल्थ इनफॉरमेशन प्लेटफार्म) पोर्टल के जरिए किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग मरीजों का संपूर्ण विवरण इस पोर्टल पर अपलोड करेगा, जिसमें मरीज को कब से तकलीफ है और कौन सा अंग प्रभावित है? क्या दिव्यंगता प्रमाण पत्र मिला है? जैसी तमाम जानकारी शामिल रहेगी। इससे हर मरीज का प्रोफाइल एक क्लिक पर उपलब्ध रहेगी और रियल टाइम में उसकी स्थिति का पता चल सकेगा इस पहल से इलाज की गुणवत्ता बढ़ेगी, साथ ही नीति निर्धारण और संसाधन वितरण में पारदर्शिता आएगी। यह सिस्टम स्वास्थ्य तंत्र को आधुनिक जवाबदेह और सटीक बनाएगा। मधुबनी को इस मॉडल के रूप में आगे लाने की तैयारी चल रही है, जिससे यह जिला पूरे राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन का उदाहरण बन सके। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में फाइलेरिया के करीब 1500से अधिक मरीज बताए गए हैं।
पहले फाइलेरिया की रिपोर्टका संधारण रजिस्टर में होता था :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डी.एस. सिंह ने बताया अब तक फाइलेरिया संबंधी गतिविधि की रिपोर्टिंग रजिस्टर में की जाती थी, जिसे रिकॉर्ड सहेजना और तुरंत जानकारी निकालना कठिन होता था। अब आईएचआईपी पोर्टल के माध्यम से पूरी व्यवस्था पेपरलेस होगी। इससे डाटा सुरक्षित रहेगा और उसकी उपलब्धता में तेजी आएगी। अधिकारी कहीं से भी मोबाइल, टैबलेट या कंप्यूटर के माध्यम से मरीजों की स्थिति देख सकेंगे और अपडेट कर सकेंगे. यह तकनीकी बदलाव फाइलेरिया के रोकथाम और उपचार को योजनाबध और सटीक बनाएगा। पोर्टल मरीजों की संख्या, बीमारी की ग्रेडिंग प्रभावित अंग उपचार की स्थिति और प्रमाण पत्र की स्थिति दर्शाने वाला एक डिजिटल डैशबोर्ड तैयार करेगा। इससे यह स्पष्ट होगा कि किस इलाके में कितने मरीज हैं और उन्हें किस प्रकार की अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता है। पारदर्शिता के साथ फील्ड स्तर के कर्मियों को भी स्पष्ट दिशा मिलेगी.
पॉजिटिव केस का विवरण ऑनलाइन होगा, प्रशिक्षण के बाद कार्य शुरू :
आईएचआईपी पोर्टल पर डाटा अपलोडिंग की जिम्मेदारी निभाने के लिए सभी लैब टेक्नीशियन को छः प्रमुख बिंदुओं पर प्रशिक्षण दिया गया है। इसमें नाइट ब्लड सर्वे की रिपोर्टिंग, एमडीए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के दौरान दवा सेवन करने वालों और साइड इफेक्ट की जानकारी शामिल है। इसके अतिरिक्त फाइलेरिया कवरेज रिपोर्ट भी अब ऑनलाइन दर्ज की जा सकेगी। सर्वे के दौरान जो भी पॉजिटिव केस सामने आते हैं, उनका पूरा विवरण पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा, ताकि समय-समय पर फॉलो किया जा सके। विशेष रूप से दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है, क्योंकि अब तक कई मरीज प्रमाण पत्र से वंचित रह जाते थे। फील्ड में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी और पर्यवेक्षकों को अब अपने क्षेत्र मौजूद मरीजों की जानकारी कहीं से भी एक क्लिक पर उपलब्ध होगी। इससे सरकार को भी नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलेगी और फाइलेरिया के स्थाई समाधान की दिशा में मजबूत कदम बढ़ेगा।