- पीएचईडी विभाग ने कागज़ों पर दिखाया जल जीवन मिशन सफल
- जमीनी हकीकत शून्य
खबर दस्तक
सीतामढ़ी :
सीतामढ़ी ज़िले के सुरसंड प्रखंड अंतर्गत बिररख पंचायत से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ सरकार की बहुप्रचारित ‘हर घर नल, हर घर जल’ योजना कागज़ों तक सीमित होकर रह गई है। पीएचईडी विभाग ने पूरे पंचायत में नल-जल योजना को ‘चालू’ दिखा दिया है, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है। पंचायत के किसी भी वार्ड में एक भी नल से जल आपूर्ति नहीं हो रही है।
ग्रामीणों में आक्रोश, भरोसा टूटा पंचायत के कई ग्रामीणों ने बताया कि नल तो वर्षों पहले लगाए गए थे, लेकिन आज तक उनमें एक बूंद पानी नहीं आया। पीने के पानी के लिए महिलाओं और बच्चों को आज भी दूर-दराज के चापाकलों और तालाबों का सहारा लेना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि योजना का सिर्फ दिखावा किया गया है, असल में कोई सुविधा नहीं दी गई।
प्रशासन को दी गई शिकायत :
जिलाधिकारी तक पहुँची रिपोर्ट में गंभीर अनियमितता को देखते हुए जागरूक ग्रामीणों ने जिला पदाधिकारी रिची पांडेय को लिखित रूप में शिकायत देकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। बताया जा रहा है कि इस गड़बड़ी की पूरी रिपोर्ट जिला मुख्यालय को भेज दी गई है, जिस पर कारवाई की संभावना जताई जा रही है।
काग़ज़ों में चालू, जमीनी हकीकत में बंद :
सूत्रों की मानें तो पीएचईडी विभाग ने अपनी रिपोर्ट में बिररख पंचायत के सभी वार्डों में नल जल योजना को “सफलतापूर्वक संचालित” दिखाया है। यही नहीं, प्रत्येक घर में नल कनेक्शन और नियमित जलापूर्ति की बात भी दर्शाई गई है। जबकि सच्चाई यह है कि नल में जल तो दूर, अधिकांश स्थानों पर पाइपलाइन तक बिछाई नहीं गई है।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी सवाल :
इस गंभीर मुद्दे पर पंचायत के जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। नल-जल योजना को लेकर आम जनता ने जिन उम्मीदों की नींव रखी थी, वह अब भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।
जरूरत है ठोस कारवाई की :
ग्रामीणों की मांग है कि इस घोटाले में लिप्त अधिकारियों और संवेदकों के खिलाफ सख्त कानूनी कारवाई होनी चाहिए, ताकि सरकारी योजनाओं का वास्तविक लाभ जनता तक पहुँच सके।
सरकार की छवि दांव पर :
नल-जल योजना केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिक योजनाओं में से एक है। ऐसे में इस तरह की गड़बड़ियाँ ना सिर्फ प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं, बल्कि सरकार की छवि को भी धूमिल करती हैं।