- वरीय पुलिस अधीक्षक, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर, डीटीओ, एसडीएम, डीएमओ एवं संबंधित विभागीय पदाधिकारी रहे मौजूद
- अंचलाधिकारी, थाना प्रभारी ऑनलाइन जुड़े
- सभी सीओ/थाना प्रभारी को सघन छापेमारी अभियान चलाते हुए अवैध बालू उत्खनन एवं परिवहन व अन्य खनिजों के अवैध परिवहन पर सख्ती का दिया गया निर्देश
खबर दस्तक
जमशेदपुर/पूर्वी सिंहभूम :
पूर्वी सिंहभूम के समाहरणालय सभागार, जमशेदपुर में उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में जिला खनन टास्क फोर्स की बैठक आहूत की गई। वरीय पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडेय, एडीएम लॉ एंड ऑर्डर भगीरथ प्रसाद, डीटीओ धनंजय, एसडीएम घाटशिला सुनील चंद्र, एसडीएम धालभूम गौतम कुमार, एसडीपीओ घाटशिला सुनील चंद्र, डीएमओ सतीश नायक, डीएसपी भोला प्रसाद समेत अन्य संबंधित विभागीय पदाधिकारी बैठक में उपस्थित रहे। वहीं अंचलाधिकारी तथा थाना प्रभारी वर्चुअल माध्यम से बैठक में शामिल हुए।
इस बैठक में जिला अंतर्गत खनिजों के अवैध खनन भंडारण एवं परिवहन के विरूद्ध पिछले माह हुई कारवाई की गहन समीक्षा की गई।
बैठक में जानकारी दी गई कि पिछले एक माह में हुई 28 छापेमार कारवाई में 25 वाहन के साथ-साथ 921 टन खनिज जब्त किया गया, ग्यारह प्राथमिकी दर्ज कराई गई एवं करीब सात लाख रूपए जुर्माना वसूला गया। उपायुक्त ने उक्त कारवाई को नाकाफी बताते हुए सभी सीओ एवं थाना प्रभारी को समेत खनन टास्क फोर्स की पूरी टीम को सघनता बढ़ाने के निर्देश दिए। विशेषकर बहरागोड़ा एवं गुड़ांबादा अंचल क्षेत्र में बालू के अवैध खनन एवं परिवहन पर सख्ती का निर्देश दिया गया। उपायुक्त द्वारा स्पष्ट निर्देश दिया गया कि किसी भी माध्यम से प्राप्त सूचना पर तत्काल संज्ञान लेते हुए कारवाई सुनिश्चित करें।
उपायुक्त ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि अवैध खनिज कारोबारियों के विरूद्ध कारवाई परिणात्मक होनी चाहिए। टास्क फोर्स में शामिल सभी विभाग अपने सूचनातंत्र को मजबूत करते हुए संयुक्त रूप से अवैध कारोबारियों पर सटीक कारवाई करें।
बैठक में उपायुक्त द्वारा अवैध ईंट भट्ठों एवं क्रशर संचालकों की जांच कर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई का निर्देश दिया गया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी औद्योगिक या निर्माण इकाई में नाबालिग श्रमिक कार्यरत न हों, इसकी नियमित रूप से जांच की जाए। साथ ही, बंद पड़ी खदानों में अवैध उत्खनन की संभावनाओं पर सतत निगरानी रखने और ऐसी गतिविधियों को सख्ती से रोकने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया।
पर्यावरण एवं श्रमिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी औद्योगिक गतिविधियों की नियमित ऑडिट की आवश्यकता पर बल दिया गया। उपायुक्त ने यह भी निर्देश दिया कि सभी इकाइयों को लाइसेंस, पर्यावरणीय स्वीकृति एवं श्रम कानूनों के अनुपालन की स्थिति स्पष्ट रूप से जांची जाए।