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मधुबनी/मधेपुर :
मधुबनी जिले के मधेपुर प्रखंड के हर्षपति सिंह महाविद्यालय,मधेपुर के सभागार में भारतीय शिक्षा प्रणाली के परिवर्तन में, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर चर्चा सह जागरूकता को लेकर मंगलवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ एलएनएमयू के प्रो. डॉ. ध्रुव कुमार, एमआरएम कॉलेज दरभंगा के प्रो. डॉ. पुतुल सिंह, एचपीएस कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. उमेश कुमार चौधरी, प्रो. डॉ. उमर फारूक, विनायम रिसर्च एसोसिएशन धनबाद से आए सेमिनार के निदेशक उमा गुप्ता ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
प्रो. अवनीश भारती के द्वारा किए गए मंच संचालन में आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर छात्र छात्राओं एवं प्राचार्यों के बीच विस्तार से चर्चा किया।
सेमिनार के मुख्य वक्ता डॉ. ध्रुव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि नई शिक्षा पद्धति 2020 से शिक्षा जगत में काफी परिवर्तन होने वाली है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सर्वप्रथम 1964-66 में कोठारी आयोग का गठन किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में शिक्षा प्रणाली के सभी पहलुओं को जांच करना और शिक्षा के विकास के लिए दिशा निर्देश और नीतियां लाना था। फिर प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई, जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा में समानता और गुणवत्ता में सुधार करना था। इस नीति ने तकनीकी शिक्षा के विस्तार एवं शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा दिया, लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा लाई गई शिक्षा नीति में युवाओं में कौशल विकास पर विशेष जोर दिया गया है। समतापूर्ण और समावेशी शिक्षा प्रदान करना है। बहु विषयक शिक्षा को बढ़ावा देना है। शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना, आलोचनात्मक सोच एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देना तथा एक लचीली और समग्र शिक्षा प्रणाली विकसित करना है।
वहीं, सेमिनार को संबोधित करते हुए डॉ. पुतुल सिंह ने कहा कि इस शिक्षा नीति में छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने पर विशेष जोर दिया गया है। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है। उच्च शिक्षा में सुधार करते हुए स्नातक पाठ्यक्रमों में बहु-प्रवेश और निकास विकल्प लाए गए हैं। शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा में उपलब्ध करवाने की नीति लाई गई है। उन्होंने कहा कि इस नीति का लक्ष्य शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, न्यायसंगत और जीवंत बनाना है। वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में शत प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात हासिल करना है। इसके मुख्य उद्देश्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा को अधिक प्रासंगिक और रोजगारोन्मुखी बनाना है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाना है।
इस मौके पर सैकड़ो छात्र-छात्राएं मौजूद रही।