लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर रहा है चुनाव आयोग : दिलीप झा
खबर दस्तक
मधुबनी :
भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) मधुबनी जिला सचिव मनोज कुमार यादव और जिला सचिव मंडल सदस्य दिलीप झा ने प्रेस बयान जारी किया है। जिला सचिव मनोज कुमार यादव ने कहा कि बिहार विधानसभा का चुनाव होने को है। दो महीने के बाद चुनाव होगा और चुनाव आयोग तुगलकी फरमान जारी कर कहा कि बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को सत्यापित करने का आदेश देने की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का फरमान तुगलकी है, इसे वापस लिया जाए।
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची का पुनरिक्षण शुरू किए जाने को लेकर जिला निर्वाचन पदाधिकारी की बैठक में सीपीएम सहित अन्य दलों के नेताओं ने विरोध जताया है, और सीधे तौर पर मतदाता सूची में से नाम हटाने का एक षड्यंत्र है। उन्होंने कहा कि बिहार में 8 करोड़ मतदाता हैं, अगर समय सीमा के अन्दर कागजात जमा नहीं हो सका, तो ऐसी परिस्थितियों में मतदाता नहीं रह पाएंगे, और वोट की अधिकारों से वंचित हो जाएंगे। यह एक तरह का एनआरसी जैसा है, विशेष गहन पुनरीक्षण के आड़ में मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी है।
वहीं, सीपीएम जिला सचिव मंडल सदस्य दिलीप झा ने कहा कि चुनाव आयोग की घोषणा से लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने की एक साज़िश है, जिसे हम लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर मतदाता का नाम हटाने की साज़िश है। चुनाव आयोग ने अपने गाइड लाइन में बताया है कि 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्म हुए किसी व्यक्ति अपने माता-पिता में से किसी एक के भारत के नागरिक होने पर 2 जुलाई 2004 के जन्मे लोगों को माता-पिता दोनों के नागरिक होने के प्रमाण देने के जो शर्तें लगाई जा रही है, वह काफी चिंतित करने वाला है और वह भी प्रक्रिया को एक महिना मात्र समय दिया गया है, जिससे बड़ी संख्या में लोगों का नाम हट जाएगा।
बिहार के लोग दुसरे राज्यों में रोजी-रोटी कमाने के लिए रहते आ रहें हैं और बीएलओ एक घर परिवार को सत्यापित करने उनके घर जाएग और नहीं रहने पर तीन नोटिस घर पर चिपका दिया जाएगा। नहीं रहने पर नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दिया जाएगा। विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान भारी अव्यवस्था, बड़े पैमाने पर गलतियों किया जा सकता है। खासकर जुलाई के महिने में बरसात का मौसम है और दुसरे तरफ़ लोग खेती में व्यस्त रहता है। सभी मतदाताओं से महिना के अन्दर फॉर्म भरने और इकठ्ठा करना कठिनाइयों से भड़ा पड़ा है। इस सवालों पर इंडिया महागठबंधन संघर्ष करने के लिए सड़क पर भी उतरने को तैयार है।