- डीएम ने सभी निर्वाचक निबंधन पदाधिकारियों एवं सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारियों के साथ बैठक कर दी विस्तृत जानकारी
- गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में सम्मिलित हों, ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें
- कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो और मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो
खबर दस्तक
मधुबनी :
आगामी बिहार विधानसभा आम निर्वाचन, 2025 की तैयारियों के क्रम में अर्हता तिथि 01/07/2025 के आधार पर निर्वाचन सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम एवं मतदान केंद्रों के युक्तिकरण को लेकर जिलाधिकारी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी आनंद शर्मा की अध्यक्षता में कल देर शाम डीआरडीए सभागार में सभी निर्वाचक निबंधन पदाधिकारियों एवं सहायक निर्वाचक निबंधन पदाधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा 1जुलाई 2025 की अर्हता तिथि के आलोक में जिले में विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में जोड़ने हेतु घर-घर जाकर सत्यापन होगा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर पुनरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी के अनुरोध किया गया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने बिहार राज्य में विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न) कराए जाने के निर्देश जारी किए हैं। यह पुनरीक्षण आयोग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों और समय-सारणी के अनुसार आयोजित किया जाएगा। इस गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची (इलेक्ट्रॉराल रोल) में सम्मिलित हों, ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें, कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न हो और मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रहे। भारत निर्वाचन आयोग के द्वारा दिनांक-01.07.2025 की अर्हता तिथि को दृष्टिगत रखते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम निम्नवत संसूचित है :-
1). दिनांक 25 जून 2025 से 26 जुलाई 2025 :-
- ई०आर०ओ० को सभी मौजूदा मतदाताओं के लिए पूर्व-भरे हुए एनुमैरेशन प्रपत्र (डुप्लीकेट में) मुद्रित करना होगा तथा उसे संबंधित बी०एल०ओ० को देना होगा
- ई०आर०ओ० द्वारा बी०एल०ओ० को पुनरीक्षण कार्य के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा
- बी०एल०ओ० को घर-घर जाकर सभी मौजूदा मतदाताओं को ऐनुमैरेशन प्रपत्र (डुप्लीकेट में) वितरित कराना
- बी०एल०ओ० द्वारा आम जनों को एनुमैरेशन प्रपत्र भरने के संबंध में मार्गदर्शन देना
- बी०एल०ओ० जनता से आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऐनुमैरेशन प्रपत्र एकत्र करेंगे अथवा जनता भी एनुमैरेशन प्रपत्र और दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं
- एकत्रित फॉर्म को दैनिक आधार पर बी०एल०ओ० ऐप/ईसीआई नेट में प्रतिदिन अपलोड करना
- बी०एल०ओ० द्वारा प्रत्येक प्राप्त गणना फार्म पर सुझाव देना
- बी०एल०ओ० पर्यवेक्षक द्वारा बी०एल०ओ० के आउटपुट की मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों तरह से जांच करना
- बी०एल०ओ० द्वारा अनुशंसित नहीं किए गए सभी ऐनुमैरेशन प्रपत्रों का सत्यापन ए०ई०आर०ओ० द्वारा किया जाना।
2). दिनांक 25 जून 2025 से 26 जुलाई 2025 तक :-
- मतदान केन्द्रों का रेशनलाइजेशन/पुनर्व्यवस्थापन तथा खंड/भाग की सीमाओं के प्रस्तावित पुनर्गठन को अंतिम रूप देना, मतदान केन्द्रों का स्थान तथा मतदान केन्द्रों की सूची का अनुमोदन प्राप्त करना।
3). दिनांक 27 जुलाई 2025 से 31 जुलाई 2025 तक :-
- कंट्रोल टेबल को अद्यतन करना एवं जिन मौजूदा मतदाताओं ने एनुमैरेशन प्रपत्र जमा किया हो, उनका प्रारूप तैयार करना।
4). दिनांक 01 अगस्त 2025 :-
- मतदाता सूची के प्रारूप का प्रकाशन
5). दावा एवं आपत्तियां दाखिल करने की अवधि :-
- दिनांक 01 अगस्त 2025 से 01 सितंबर 2025 तक।
6). दिनांक 25 सितंबर 2025 तक:- हाउस टू हाउस ऐनुमैरेशन अवधि के दौरान प्राप्त एनुमैरेशन प्रपत्रों पर निर्णय लेना तथा दावों एवं आपत्तियों का निपटान कराना।
7). दिनांक 27 सितंबर 2025 तक :-
- अंतिम रूप से तैयार मतदाता सूची की जांच करना तथा अंतिम प्रकाशन के लिए आयोग की अनुमति प्राप्त करना
- डेटाबेस को अद्यतन करना और अनुपूरकों का मुद्रण करना।
8). दिनांक 30 सितंबर 2025 को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन।
उल्लेखनीय है कि बिहार में पिछला गहन पुनरीक्षण वर्ष 2003 में किया गया था। वर्तमान में तेज़ी से हो रहा शहरीकरण, लगातार होने वाला प्रवासन, नए युवाओं का 18 वर्ष की आयु पूरी कर मतदाता बनने की पात्रता प्राप्त करना, मृत्यु की जानकारी का समय पर न मिलना तथा अवैध विदेशी नागरिकों के नाम सूची में दर्ज हो जाना जैसी स्थितियों के कारण यह गहन पुनरीक्षण आवश्यक हो गया है, ताकि त्रुटिरहित और विश्वसनीय मतदाता सूची तैयार की जा सके।
इस प्रक्रिया के तहत मतदान केंद्र पदाधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे। पुनरीक्षण के दौरान आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 तथा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 में उल्लिखित मतदाता के रूप में पंजीकरण की पात्रता और अयोग्यता संबंधी प्रावधानों का पूरी तरह से पालन करेगा।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 के अंतर्गत निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा अब तक अपने स्तर पर पात्रता की जांच की जाती रही है। अब तकनीक के विकास को देखते हुए, इस प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए यह आवश्यक किया गया है कि ईआरओ द्वारा संतुष्टि के आधार पर प्राप्त दस्तावेजों को ईसीआई नेट पोर्टल पर अपलोड किया जाए। हालांकि, इन दस्तावेजों की गोपनीयता सुनिश्चित करते हुए इन्हें केवल अधिकृत निर्वाचन अधिकारियों द्वारा ही देखा जा सकेगा।
यदि किसी राजनीतिक दल अथवा मतदाता द्वारा कोई दावा या आपत्ति दर्ज की जाती है, तो सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (एईआरओ) संबंधित मामले की जांच करेंगे और उसके बाद ही ईआरओ अपना निर्णय लेंगे। इसके अतिरिक्त, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत ईआरओ के आदेश के विरुद्ध जिला पदाधिकारी (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) तथा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (चीफ इलेक्ट्रॉरल ऑफिसर) के समक्ष अपील दायर की जा सकती है।
आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ), जिला निर्वाचन पदाधिकारी (डीईओ), निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) एवं बूथ स्तर अधिकारी (बीएलओ) को यह निर्देशित किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि वास्तविक मतदाताओं, विशेष रूप से वृद्ध, बीमार, दिव्यांगजन, गरीब तथा अन्य वंचित वर्गों को किसी प्रकार की परेशानी न हो और उन्हें हर संभव सुविधा प्रदान की जाए। इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर स्वयंसेवकों की तैनाती भी की जा सकती है।
भारत निर्वाचन आयोग यह सुनिश्चित करने हेतु हरसंभव प्रयास करेगा कि पुनरीक्षण प्रक्रिया सुगमता से संपन्न हो और मतदाताओं को कम से कम असुविधा हो। साथ ही, आयोग सभी राजनीतिक दलों से अपील करेगा कि वे प्रत्येक मतदान केंद्र पर अपने बूथ लेवल एजेंट्स की नियुक्ति करें।
बूथ लेवल एजेंट्स की सक्रिय भागीदारी से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि यदि कोई विसंगतियाँ या त्रुटियाँ हों, तो उनका समाधान तैयारी के प्रारंभिक चरण में ही कर लिया जाए, जिससे दावे, आपत्तियों और अपीलों की संख्या में कमी लाई जा सके।
यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि मतदाता और राजनीतिक दल, दोनों ही किसी भी निर्वाचन प्रक्रिया के सबसे महत्वपूर्ण भागीदार होते हैं, और केवल उनकी पूर्ण भागीदारी से ही इस प्रकार की महत्वपूर्ण और व्यापक प्रक्रिया को सफलता एवं सुचारु रूप से संपन्न किया जा सकता है।
उक्त बैठक में उप विकास आयुक्त सुमन कुमार शाह, उप निर्वाचन पदाधिकारी प्रशांत शेखर सहित सभी निर्वाचक निबंधन पदाधिकारी, सहायक निर्वाचन निबंधन पदाधिकारी आदि उपस्थित थे।