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मधुबनी/झंझारपुर :
मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड में भाजपा जिला कार्यालय,झंझारपुर में संविधान हत्या दिवस मनाया गया। इसके तहत संगोष्ठी एवं उद्योग मंत्री नीतीश कुमार के द्वारा प्रेस वार्ता की गई। कार्यक्रम में उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘आंतरिक अशांति’ का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय संविधान की हत्या करने के बराबर है।
भाजपा इस दिन को संविधान हत्या दिवस में मनाती आई है। अब लोगों को भी इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के बारे में विपक्ष के द्वारा संविधान खत्म कर देने की बात कही जाती है, जबकि कांग्रेस की सरकार के द्वारा 75 बार संविधान में संशोधन किया जा चुका है। 40 बार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, जबकि भाजपा सरकार के द्वारा सिर्फ जरूरत पड़ने ओर ही संविधान में संशोधन किया गया है।
उद्योग मंत्री श्री मिश्रा ने कहा कि आपातकाल का निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि इंदिरा गांधी अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था। कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते।
आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है। जिस प्रकार से खिलाफ भाषा का प्रयोग किया जाता है, उन शब्दों को अगर आप देखेंगे कहीं भी राजनीतिक मर्यादा नहीं रही और लगातार जो पार्टी संविधान के प्रति समर्पित है। जिन्होंने बाबा साहब को सर्वाधिक सम्मान दिया, जो प्रत्येक नागरिक के लिए प्रतिबद्ध है।
जो प्रत्येक व्यक्ति को अपना परिवार मानते हैं, वैसे नेतृत्वकर्ता के ऊपर कभी-कभी इस तरह की बात आती है। इसलिए यह हम लोग को जानना आवश्यक है कि उसे समय की स्थिति और आज भी जिन राज्यों में कांग्रेस या उनसे जुड़े हुए विचारधारा की सरकार है। बंगाल में देख लीजिए इस ढंग से राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर यातनाएं होती हैं। टॉर्चर होता है। केरल में देख लीजिए, वहां पर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को कितना संघर्ष करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को ‘आंतरिक अशांति’ का हवाला देकर राष्ट्रपति से आपातकाल लगा दिया। रातों रात प्रेस की बिजली काटी गई, नेताओं को बंदी बनाया। 1975 में आपातकाल की घोषणा कोई राष्ट्रीय संकट का नतीजा नहीं थी, बल्कि यह एक डरी हुई प्रधानमंत्री की सत्ता बचाने की रणनीति थी, जिसे न्यायपालिका से मिली चुनौती से बौखला कर थोपा गया।
इस संगोष्ठी में वरिष्ठ नेता उपेंद्र यादव, अनुरंजन झा, जीवछ भिंडवार, सत्यनारायण अग्रवाल, राम सुंदर यादव ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किया।