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मधुबनी :
मधुबनी नगर निगम क्षेत्र में जैव विविधता के संरक्षण को लेकर मेयर मेयर अरुण राय की अध्यक्षता में बैठक किया गया। इसके तहत प्रत्येक वार्ड में जैव विविधता पार्क, हरित पट्टी और पौधरोपण की योजना बनाई जाएगी। शहर में स्थानीय वृक्ष प्रजातियों को बढ़ावा देने और पक्षियों, तितलियों जैसे जीवों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने के लिए एक विशेष कार्ययोजना बनाई जाएगी। इसके माध्यम से हर वार्ड की जैव विविधता का डाटा एकत्र कर संरक्षण और पुनर्स्थापन की योजनाएं बनाई जाएंगी। इसके लिए राज्य जैव विविधता बोर्ड के सहयोग से स्थानीय स्तर पर एक तकनीकी सहायता दल गठित किया जाएगा। पर्यावरण के संतुलन में इसकी मुख्य भूमिका होने की बात कहते हुए महापौर अरुण राय ने शनिवार को जैव विविधता समिति की महत्वपूर्ण बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए कार्य योजना बनाने का निर्देश नगर प्रबंधक राजमणि गुप्ता व स्वच्छता पदाधिकारी अमिताभ गुंजन को दिया, ताकि उसे शीघ्रता के साथ सरजमीं पर उतारा जा सके। उन्होंने टाउन प्लानर मो. अदनान को इस संबंध में रिपोर्ट संग्रहित करने का निर्देश दिया।
स्कूल व कॉलेज को कार्ययोजना से जोड़ने पर बल :
बैठक में जैव विविधता समिति के अध्यक्ष मनीष कुमार सिंह ने सुझाव दिया कि स्कूलों और कॉलेजों के स्तर पर जागरूकता अभियान चलाकर आने वाली पीढ़ी को प्रकृति के महत्व से जोड़ा जाए, ताकि अभिवावक व समुदाय सहज रुप से इसकी जरूरत को समझ सकें।
वहीं विशेषज्ञों ने कहा कि निगम क्षेत्र में वृक्षारोपण करते समय ऐसी प्रजातियों को प्राथमिकता दी जाए, जो स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुकूल हों।
वहीं, सशक्त स्थायी समिति सदस्य कैलास सहनी, अरुण कुमार, बद्री प्रसाद राय, धर्मवीर प्रसाद सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि निगम को चाहिए कि वह जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण पर ठोस कदम उठाए, विशेषकर पोखर, नहर और जलाशयों के किनारे जैव विविधता पट्टियां विकसित की जाएं।
पर्यावरण संकट में उलझ रहा शहरी जीवन :
तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण के कारण नगर निगम क्षेत्र में जैव विविधता गंभीर संकट से गुजर रही है। शहरीकरण, बढ़ता कचरा, जल स्रोतों का दूषित होना, हरियाली की कमी और स्थानीय प्रजातियों का तेजी से विलुप्त होना प्रमुख कारणों में शामिल हैं। विशेष रूप से शहर के तालाबों, पोखरों और खाली जमीनों पर तेजी से आबादी के विस्तार से कई प्राकृतिक आवास खत्म हो चुके हैं। राज्यस्तरीय रिपोर्ट के अनुसार निगम क्षेत्र में 70 फीसदी आबादी शहरी केंद्रों में केंद्रित है। निगम क्षेत्र में कुल 27 सार्वजनिक पोखर, ग्यारह छोटे हरित क्षेत्र और लगभग 42 किलोमीटर नाले व जलधाराएं हैं, इनमें से अधिकांश क्षेत्र प्रदूषण की चपेट में है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दस वर्षों में क्षेत्र में तितलियों की बारह स्थानीय प्रजातियां और पक्षियों की नौ प्रजातियां लगभग विलुप्त हो चुकी हैं। आम, पीपल, नीम, साखू जैसे देशज पेड़ अब तीस प्रतिशत तक कम हो गए हैं।