- विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस 2025 की थीम “पहचान और आधुनिक तकनीक से संभव है जीवन रक्षा”
खबर दस्तक
मधुबनी :
हर साल 8 जून को दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाने का मुख्य मकसद लोगों को इससे अवगत कराना और इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है। विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस वर्ष 2025 की थीम पहचान और आधुनिक तकनीक से संभव है जीवन रक्षा। इसका उद्देश्य ब्रेन हेल्थ के बारे में समझना, और इस बीमारी से बचने के लिए उपायों के बारे में समझना है। ब्रेन ट्यूमर दिमाग से जुड़ी बीमारी है, जो दिमाग में ट्यूमर के एबनॉर्मल ग्रोथ के कारण होती है। ब्रेन ट्यूमर घातक बीमारी है। इसके कारण इसका समय रहते पता लगाना और इलाज करना आवश्यक होता है। ब्रेन ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी है, इसमें मस्तिष्क में या उसके आस-पास कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं। यह बहुत तेजी से फैलता है, इसलिए इसके संकेतों को शुरुआती स्टेज में पहचानना जरूरी है। लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार का आयोजन किया जाता है। इसके लक्षणों के प्रति सावधान रहने और बचाव के उपायों के बारे में जानकारी दी जाती है।
दिमाग के किसी हिस्से में बन सकता है ब्रेन ट्यूमर :
सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने कहा कि ट्यूमर एक तरह का एबनॉर्मल या कहें असामान्य लंप या सेल्स की ग्रोथ है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में बढ़ सकता है। ब्रेन ट्यूमर में यह ट्यूमर दिमाग में बनने लगता है, और यह दिमाग के किसी भी हिस्से में बन सकता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण :
सीएस ने कहा यदि किसी व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर हो, तो उसके शरीर में कुछ लक्षण देखने को मिल सकते हैं। हालांकि, लोगों में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। उल्टी और मितली की समस्या होना, बहुत अधिक थकान और सुस्ती होना, सुनने में परेशानी होना, नींद नहीं आने की दिक्कत, शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस, दूर की नजर कमजोर होना, आंखों से धुंधला दिखाई देना, चलते-चलते अचानक लड़खड़ाना, यादाश्त कमजोर होना एवं मांसपेशियों में ऐंठन होना शामिल है। सीएस ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर नशीली दवाइयां और शराब का अधिक सेवन करने के कारण भी होता है। इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाकर, इसका इलाज कराना चाहिए। अक्सर लोग लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे जाकर एक गंभीर समस्या बन जाती है। इस बीमारी का इलाज बहुत ही जरूरी है। इसका इलाज कई अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरपी आदि इलाज के विकल्प हैं।
एनसीडीओ डॉक्टर एस.एन. झा ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर के मामले दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में इस घातक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक और सतर्क करने के लिए हर साल 8 जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि ब्रेन ट्यूमर बीमारी में दिमाग के अंदर असामान्य कोशिकाएं कैंसर के रूप में या बिना कैंसर के विकसित हो जाती हैं। ब्रेन में जब ट्यूमर अधिक विकसित हो जाता है, तो ब्रेन के अंदर दबाव बढ़ने लगता है। ऐसे मे ब्रेन को नुकसान पहुंच सकता है और स्थिति गंभीर हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में जानें और इस बीमारी से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
ब्रेन ट्यूमर के दो प्रकार होते हैं :
डॉ. झा बताते हैं, कि सामान्य रूप से ब्रेन ट्यूमर दो प्रकार का होता है कैंसर युक्त और कैंसर रहित। कैंसर वाला ब्रेन ट्यूमर प्राइमरी ट्यूमर है, जो इलाज के बाद भी वापस आ सकता है। यह ब्रेन से शुरू होकर अन्य भागों में भी फैल जाता है। कैंसर रहित ब्रेन ट्यूमर में इलाज के बाद वापस आने की संभावना कम होती है, साथ ही यह ब्रेन में धीरे-धीरे फैलता है।
ब्रेन ट्यूमर के कारण :
डॉ. एसएन झा ने कहा कि ब्रेन ट्यूमर का वैसे तो कोई सटीक कारण नहीं है, लेकिन इस बीमारी के लिए कुछ मुख्य कारक जिम्मेदार हो सकते हैं।
ब्रेन ट्यूमर को बढ़ाने के लिए आयोनाइजिंग रेडिएशन मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है। ज्यादातर, आयोनाइजिंग रेडिएशन का प्रयोग कैंसर थेरेपी के दौरान किया जाता है और जब कोई व्यक्ति इस रेडिएशन के संपर्क में रहता है, तो ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अगर ब्रेन ट्यूमर की बीमारी पारिवारिक इतिहास में रही है, तो ब्रेन ट्यूमर होने की संभावना अधिक हो जाती है।
ल्यूकेमिया से ग्रसित वयस्कों में ब्रेन ट्यूमर का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में अधिक रहता है।
इसके अलावा ऐसे बच्चे जिन्हें बचपन में कैंसर की बीमारी हो जाती है, वह भी आगे चलकर ब्रेन ट्यूमर से प्रभावित हो सकते हैं, साथ ही एचआईवी से ग्रसित व्यक्तियों को भी अन्य व्यक्तियों की तुलना में ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा अधिक रहता है। यह बीमारी बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में लक्षणों के प्रति लापरवाही खतरनाक साबित हो सकता है। चिकित्सकों की माने तो ब्रेन ट्यूमर एक भयावह और जानलेवा बीमारी है। ऐसे में इससे बचने के लिए अस्पताल में सही समय पर पहुंचकर कुशल और अनुभवी डॉक्टर से इलाज कराना बहुत जरूरी है। इसका उपचार कई तरीकों से किया जाता है, परंतु मुख्य आधार ऑपरेशन है, जो ट्यूमर के स्थान व आकार पर निर्भर करता है। इसके लिए रोगी की सबसे पहले जांच की जाती है, जैसे एम.आर.आई, सिटी स्कैन, एंजियोग्राम व अन्य जांचों से मरीज की स्थिति का पता लगाया जाता है।
इसके बाद मरीज का ऑपरेशन किया जाता है, जिसमें कई प्रकार की सावधानियां और अत्याधुनिक तकनीकियां भी शामिल होती हैं। जैसे क्रैनियोटॉमी, न्यूरोनेविगेशन, इंट्राऑपरेटिव न्यूरो-मॉनिटरिंग, आदि. इसके अलावा कुछ मरीजों में रेडिएशन ट्रीटमेंट या कीमोथेरेपी के माध्यम से इलाज किया जाता है। अधिकांश ब्रेन ट्यूमर वंशानुगत नहीं होते हैं, ऐसे में समय लक्षणों पर ध्यान रखना और तुरंत इलाज बहुत जरूरी है।