खबर दस्तक
संपादकीय
प्रदीप कुमार नायक(स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार)
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर पाकिस्तान का संविधान बनाने में इतना देर क्यों हो गया और जब पाकिस्तान बनाता दो साल तक इस बात पर मंथन होता रहा कि पाकिस्तान की भाषा क्या होगी? क्योंकि मोहम्मद अली जिन्ना और मुस्लिम लीग को इस बात का विश्वास ही नहीं था कि देश का बंटवारा हो सकता है। गांधी और नेहरू देश के बंटवारे पर सहमत हो जाएंगे और मुसलमानों का एक अलग देश बन जाएगा इसीलिए मोहम्मद अली जिन्ना ने कोई प्लानिंग नहीं किया था।
एक पाकिस्तानी इतिहासकार वीडियो डॉक्यूमेंट और तथ्य दिखाकर बता रहे थे कि दरअसल पाकिस्तान की मांग मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना नहीं की ही नहीं थी और जब चौधरी रहमत अली ने 1930 में पाकिस्तान का प्रस्ताव मुस्लिम लीग ने रखा, तब मुस्लिम लीग ने उसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि हमें अलग देश नहीं चाहिए फिर जब गोलमेज सम्मेलन में भी किसी ने मुसलमानों के लिए अलग देश की बात रखी तब मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर तमाम नेताओं ने उस व्यक्ति को एक पागल और सनकी बोल करार दे दिया।
1939 में लाहौर के मुस्लिम लीग अधिवेशन में यह प्रस्ताव पास हुआ की भारत में चार राज्य बनाए जाएं और उनके नाम हो बंगाल हैदराबाद पाकिस्तान और हिंदुस्तान।
इन राज्यों का अपना एक स्वायत्त स्थानीय सरकार हो और एक केंद्रीय सरकार हो, जिसके पास कस्टम विदेश मंत्रालय रक्षा मंत्रालय दूसरे सभी मसले हो। लेकिन महात्मा गांधी और नेहरू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अगर इस प्रस्ताव को मान लिया जाता, तो भारत का विभाजन नहीं होता।
फिर कांग्रेस के द्वारा यानी महात्मा गांधी और नेहरू के द्वारा स्वायत्त प्रस्ताव को खारिज करने के बाद 1940 में मुस्लिम लीग की दोबारा बैठक हुई और उस बैठक में मोहम्मद अली जिन्ना ने ऐतिहासिक भाषण देते हुए कहा कि नेहरू और गांधी हिंदुओं का नुमाइंदगी कर रहे हैं और वह पूरे भारत पर अपनी हिंदुत्व की अवधारणा ठोकना चाहते हैं और अब हम स्वायत्त राज्य की मांग नहीं रखेंगे, बल्कि अब हमें मुसलमानों का एक अलग देश का और जब इस प्रस्ताव पर भी सहमति नहीं बनी। तब मोहम्मद अली जिन्ना ने डायरेक्ट एक्शन डे का ऐलान कर दिया और सभी मुसलमानों से कहा कि वह अपने अपने इलाके में हिंदुओं का कत्लेआम करें और फिर बंगाल में सबसे बड़े पैमाने पर हिंदुओं का कत्लेआम हुआ।
जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन के ऐलान पर नेहरू और गांधी ने हिंदुओं से कहा कि वह शांति बनाए रखें, अगर गांधी और नेहरू ने हिंदुओं को भी प्रतिकार करने को कहा होता, तब जिंदा के डायरेक्ट एक्शन डे पर हिंदुओं का कत्लेआम नहीं हुआ होता और उसके बाद महात्मा गांधी और नेहरू देश के बंटवारे पर सहमत हो गए। देश के बंटवारे के लिए जितना जिम्मेदार जिन्ना था, उससे ज्यादा जिम्मेदार महात्मा गांधी और नेहरू थे। लेकिन अफसोस भारत की इतिहास की किताबों में बड़ी सफाई से देश के बंटवारे के लिए गांधी और नेहरू को जिम्मेदार नहीं बताया जाता, बल्कि सारा ठीकरा मोहम्मद अली जिन्ना पर ही फोड़ दिया जाता है।