- जनवरी से मई 2025 तक टीबी के 3326 मरीज चिन्हित, दी गई मुफ्त इलाज व दवा
- प्रति 1000 पापुलेशन पर 30 लोगों का करना है जांच
खबर दस्तक
मधुबनी :
प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान के तहत वर्ष 2025 तक टीबी जैसी संक्रामक बीमारी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन जिला में टीबी मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो जिला में जनवरी से अप्रैल 2025 तक टीबी मरीजों की संख्या 2868 थी, जो मई माह में बढ़कर 3326 पहुंच गया। आंकड़ों के अनुसार एक माह में 458 टीबी मरीजों को चिन्हित किया गया, इसमें 18 एमडीआर मरीजों की संख्या शामिल हैं। हालांकि कार्यक्रम की बेहतरी के लिए बुधवार को सदर अस्पताल स्थित जिला टीबी कार्यालय में जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. जी.एम. ठाकुर की अध्यक्षता मे मासिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। समीक्षा बैठक मे चिकित्सकों एवं कर्मियों ने टीबी मुक्त पंचायत का संकल्प लिया।
बैठक में सीडीओ डॉक्टर जी.एम. ठाकुर ने बताया कि जिला में जनवरी 2025 से मई 2025 तक टीबी के 3326 मरीजों को चिन्हित किया गया है। इसमें प्राइवेट में 1645 एवं सरकारी संस्थानों में 1681 मरीजों को चिन्हित किया गया। वही मई माह में टीबी के 458 मरीजों को चिन्हित किया गया, इसमें प्राइवेट में 54 एवं सरकारी संस्थान में 383 मरीज चिन्हित किया गया। इसमें एमडीआर के 18 मरीजों की पहचान की गई। उन्होंने कहा कि सभी चिन्हित मरीजों को मुफ्त इलाज के साथ ही मुफ्त दवा दी गई है। उन्होने कहा कि यक्ष्मा विभाग द्वारा टीबी मरीजों की लगातार पर्यवेक्षण एवं निगरानी की जा रही है। सीडीओ ने कहा कि एमडीआर के मरीजों का उपचार 9 माह से 2 साल तक चलता है। राज्य के निर्देशानुसार प्रति 1000 पापुलेशन पर 30 लोगों का टीबी का स्क्रीनिंग करना है। उन्होंने कहा कि जिले के 16 प्रखंडों में ट्रूनेट मशीन से टीबी की जांच की जा रही है।
जिले में टीबी मरीजों की संख्या बढ़ने का मुख्य कारण अधिकतर मरीजों द्वारा बीच में ही इलाज एवं नियमित रूप से दवा का सेवन करना छोड़ देना हैं। इसके लिए विभाग द्वारा निक्ष्य मित्र योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के तहत टीबी मरीजों को निक्ष्य मित्र द्वारा गोद लिया जाता है। इसके लिए सरकार और विभाग द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए जनमानस को भी जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि टीबी के खिलाफ लड़ाई में आसानी से विजय प्राप्त किया जा सके। बैठक के दौरान उन्होंने सभी एसटीएस, एसटीएलएल को टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाने के लिए विशेष रणनीति के तहत कार्य करने का निर्देश दिया।
सरकारी अस्पताल में ही कराएं अपने टीबी का इलाज़ :
डीपीसी पंकज कुमार ने बताया कि जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी इलाज से लेकर जांच की व्यवस्था निःशुल्क है। सबसे बड़ी बात यह है कि दवा के साथ टीबी के मरीज को पौष्टिक आहार के लिए प्रतिमाह 1000 रुपए की सहायता राशि भी दी जाती है। इसके बाद भी कुछ लोग इलाज कराने के लिए बड़े-बड़े निजी अस्पतालों या फिर बड़े शहर की ओर रुख कर जाते हैं। हालांकि फिर मरीज को निराश होकर संबंधित जिले के सरकारी अस्पतालों के शरण में ही आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को जैसे ही टीबी के बारे में पता चले, सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल जाकर जांच कराएं। जिले में टीबी मरीजों के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था की जाती है।
सीडीओ डॉ. जी.एम. ठाकुर ने बताया कि टीबी संक्रमण दर को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा टीबी नोटिफिकेशन करने की जरूरत होती है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने टीबी नोटिफिकेशन टारगेट को 90 प्रतिशत करने का निर्देश दिया है। डॉ. ठाकुर ने बताया कि विभाग द्वारा प्रत्येक माह 800 मरीज एवं एक वर्ष में कुल 9600 का नोटिफिकेशन करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य के निर्देशानुसार 100000 की आबादी पर 3000 टीबी के संदिग्ध मरीजों की जांच किया जाना है, जांच बिल्कुल नि:शुल्क है।
मालुम हो कि पंचायत प्रतिनिधि अपने पंचायत में आशा के माध्यम से डोर टू डोर जाकर संदिग्ध टीबी मरीजों को चिन्हित कर रहे हैं। जिले में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों एवं समूहों पर खास ध्यान रखा जा रहा है। अगर किसी पंचायत के गांव में कोई संदिग्ध व्यक्ति अपना स्पुटम देने से इंकार करता है, तो पंचायत के मुखिया द्वारा आशा के सहयोग से व्यक्ति को समझकर स्पुटम लिया जाता है। एक प्रखंड के सभी पंचायत के टीबी मुक्त होने से ही टीबी मुक्त प्रखंड का स्वप्न साकार हो सकता है।