MADHUBANI :
खबर दस्तक
मधुबनी :
स्वचालित कविगोष्ठी की मासिक गोष्ठी शनिवार को संयोजक प्रो. जे.पी. सिंह निदेशन देव लाल कर्ण की अध्यक्षता एवं डॉ. रामदयाल यादव के संचालन में आयोजित की गई। समीक्षा प्रो. जे.पी. सिंह द्वारा किया गया, जिसमें डेढ़ दर्जन से अधिक रचनाकारों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित साहित्यिक स्वचालित कवि गोष्ठी की शुरुआत अनुपम झा की रचना कर सजल वीणा शारदा हे सृष्टि के सुर दायिनी से की गई।
वहीँ, पूर्व सैन्य अधिकारी दयानंद झा की रचना मैं शून्य हूँ, अनामिका चौधरी की ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकी मार्मिकता को दर्शाया। विभा झा विभाषित की रचना सम्मान सिंदूरक को लोगों ने खूब सराहा। ज्योति रमण झा की रचना किसे कहते हैं पंडित ने खूब तालियाँ बटोरी। प्रो. जे.पी. सिंह की पत्थर का किनारा हूं मैं ने सभी का ध्यान आकृष्ट किया। राम दत्त यादव तुम्हें धिक्कार हैं की सराहना हुई। शिव नारायण साह जीवन का वसंत, सुभाष चंद्र झा सिनेही निज देश के लिए, ने देश प्रेम की झलक दिखाई।
मौके पर अधिवक्ता ऋषिदेव सिंह, डॉ. राम दयाल यादव की जीवन और सफर को खूब सराही गयी।
डॉ. विनय विश्वबंधु की रचना अहा बिनु हमर जिंदगी उदास भेल अछि, भोलानंद झा आध्यात्मिक रचना वाह रे सारंगी सौरंगी, लोगों को अपनी ओर आकृष्ट किया। मौके पर सुमित कुमार ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर श्रीदेव लाल कर्ण, डा. कुसुम चौधरी, प्रो. शुभ कुमार वर्णवाल, स्नेहा किरण, मुकेश खंडेलवाल, उदय जायसवाल ने अपनी कविता से लोगो का मन मोह लिया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में देव लाल ने कहा कि स्वचालित कविगोष्ठी साहित्यिक इतिहास में अपने विस्तार की ओर हमेशा अग्रसर रहा है। यहा से साहित्य प्रेमियों को एक नई ऊर्जा मिलती है। कार्यक्रम का दयानंद झा द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम के अंत में देश की एकता अखंडता को बरकरार रखते हुए ऑपरेशन सिंदूर के कर्मवीरों को नमन करते हुए गोष्ठी का समापन किया गया।

