MADHUBANI NEWS :
खबर दस्तक
संपादकीय
प्रदीप कुमार नायक(स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार) :
ऑपरेशन सिंदूर में चार दिनों तक चली लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान का जो हाल कर दिया, उसे पूरी दुनिया देख चुकी है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को पहले ही संकेत दे दिया था कि वह आतंकियों को संरक्षण देकर कितनी बड़ी गलती कर चुका है। भारत ने अपने संकल्प के हिसाब से आतंकी ठिकानें तबाह किए।
लेकिन, पाकिस्तान के सिस्टम में जिस तरह से आतंकियों का दबदबा बढ़ चुका है, उसकी वजह से पाकिस्तानी सेना ने दूसरी गलती यह कह कर दी कि उसने भारत की सीमित कार्रवाई के बाद भी जवाबी हमला करके अपनी मौत को निमंत्रण दे दिया। तीन ही दिन में भारतीय सेना ने शहबाज शरीफ और असीम मुनीर की फौज का वह हाल कर दिया, जिसका अंदाजा अमेरिका और चीन भी नहीं लगा पाए। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिका और चीन की जो कूटनीति रही है;उससे साफ है कि सीधे या परोक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थन करके इन दोनों ने भी अपने हाथ झुलसा लिए हैं।
फर्स्ट पोस्ट में ‘ऑपरेशन सिंदूर: ट्रंप्स अमेरिका इज द बिगेस्ट लूजर’ के टाइटल से एक लेख छपा है। इस लेख का विश्लेषण करने पर जाहिर होता है कि पांच ऐसे पहलू हैं, जिसमें अमेरिकी ट्रंप प्रशासन और चीन की शी जिनपिंग सरकार ऑपरेशन सिंदूर में भारत के पराक्रम को देखकर इतने भौंचक्के रह गए कि वे इसकी रणनीति को समझ ही नहीं पाए; और पाकिस्तान तो ऑपरेशन सिंदूर का तात्कालिक लूजर है दरअसल भारत, अमेरिका और चीन के लिए भविष्य की चुनौती बनकर खड़ा हो गया है।
डोनाल्ड ट्रंप के समय में अमेरिका की विदेश नीति की जो कमियां हैं, उसे ऑपरेशन सिंदूर ने उजागर कर दिया है। ट्रंप ने भारत को अपना अच्छा दोस्त बताया था, लेकिन उनका एक दावा उनकी चालबाजियों पर भारी पड़ गया। उन्होंने कहा था कि उन्होंने ‘सीजफायर’ करवाया है। भारत को यह बहुत ही नागवार गुजरा। भारत को लगा कि ट्रंप उसे पाकिस्तान के बराबर समझ रहे हैं। जबकि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है। इस घटना से भारत का अमेरिका पर पिछले कुछ वर्षों में पैदा हुआ भरोसा उठ गया। अब भारत को लगता है कि अमेरिका पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसकी शुरुआत जो बाइडेन प्रशासन के दौरान ही होने लगी थी, लेकिन ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में यह दिखा दिया कि अमेरिका बदला नहीं है।
अमेरिका के पास एशिया में एक मजबूत रणनीतिक दोस्त बनाने का मौका था। लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका ने भारत का साथ तो नहीं ही दिया, पाकिस्तान की भाषा बोलना शुरू कर दिया। इससे अमेरिका ने एक अच्छा मौका खो दिया। अब भारत को अमेरिका के नेतृत्व वाले संगठनों जैसे Quad (क्वाड) पर भी कम भरोसा है। क्योंकि, अमेरिका के दोस्तों ने भी भारत का उस तरह से साथ नहीं दिया। इसलिए, अब भारत अपनी विदेश नीति में सावधानी बरतेगा। वह अमेरिका पर कम निर्भर रहेगा और अपनी स्वतंत्र नीति के साथ आगे बढ़ेगा।
ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया कि भारत तेजी से और सटीक तरीके से सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इससे पता चलता है कि भारत अब कमजोर देश नहीं है, बल्कि एक ताकतवर देश है। भारत की अर्थव्यवस्था भी बढ़ रही है। कागजों में वह चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, लेकिन कई मायने में यह तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बताया जाने लगा है। इससे दुनिया में भारत की छवि बदली है और यह आत्मनिर्भर बन रहा है। दूसरी ओर, अमेरिका पुराने विचारों में फंसा हुआ दिखाई देता है। वह अभी भी पाकिस्तान और चीन को लेकर पुरानी सोच रखता है। इससे अमेरिका की इज्जत कम हुई है और सुपर पावर वाली उसकी छवि भी काफी कमजोर हुई है। भारत ने जिस तरह से ट्रंक के दावे खारिज किए, उससे उसकी कूटनीतिक स्तर पर काफी मिट्टी पलीद हुई है।
वाशिंगटन की चिंता बढ़ गई है। उसे लगता है कि भारत, चीन को रोकने में क्या मदद करेगा, भविष्य में उसे ही रोकने की जरूरत पड़ सकती है, ताकि अमेरिका दुनिया में सबसे ऊपर बना रहे। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य ताकत और उसे इस्तेमाल करने के हौसले को दिखाया है। इससे अमेरिका और भी चिंतित हो गया है। अब अमेरिका के सामने एक मुश्किल है। वह दुविधा में है कि भारत को आगे बढ़ने में मदद करे या उसे रोकने की कोशिश करे।
ऑपरेशन सिंदूर ने चीन और पाकिस्तान के रिश्ते में भी कहीं न कहीं एक कमजोर कड़ी पैदा कर दी है। पाकिस्तान में यह आशंका पैदा हुई है कि चीन के हथियार दोयम दर्जे वाले हैं। भविष्य में चीन के साथ हथियारों का सौदा करते समय पाकिस्तान में संदेह का एक बीज जरूर पैदा होगा। इस तरह से भारत की ताकत और कूटनीति ने पाकिस्तान-चीन और अमेरिका के त्रिकोण को कमजोर कर दिया है। अब दक्षिण एशिया में एक नई शक्ति का उदय हुआ है, जो आने वाले समय में वाशिंगटन और बीजिंग दोनों की नींदें उड़ाता रहेगा।
अमेरिका तो गैर परमाणु पिद्दी देशों से युद्ध हारता रहा है । आजतक अमेरिका, चीन ने किसी परमाणु संम्पंन्न देश से युद्ध नहीं लडा है। मगर भारत ने चीन, अमेरिका समर्थित परमाणु संम्पंन्न पाकिस्तान को तीन दिन मे दिन के तारे दिखा दिये और उपर से रुतबा ये कि चीन,अमेरिका भारत के खिलाफ चूँ भी नही कर सके।