MADHUBANI / LADANIA NEWS :
मधुबनी / लदनियां ( राम कुमार यादव ) :
मधुबनी जिले के लदनियां प्रखंड क्षेत्र के कुमरखत पूर्वी पंचायत अंतर्गत दोनवारी गांव में दलित नेता राम किशोर महरा के आवास पर सोमवार को डाक्टर भीमराव अम्बेडकर जयंती समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि बिहार महादलित संगठन के प्रदेश महासचिव राम किशोर महरा थे। उपस्थित लोगों ने सबसे पहले बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित किया गया। कार्यक्रम के दौरान प्रदेश महासचिव राम किशोर महरा ने कहा कि जिस समाज के लिए एवं सभी जातियों के लिए डॉ अम्बेडकर ने कानून बनाएं थे, उस वंचित समाज के कई लोग आज भी पेट की लड़ाई लड़ रहे हैं। पहले इन लोगों को दबंगता दिखा कर वोट गिराने से वंचित रखा जाता था। यह कहना गलत नहीं होगा कि वोट का अधिकार तो था, परंतु वोट नहीं गिरा सकता था। महादलितों को अच्छा भोजन, अच्छा कपड़ा एवं अच्छा कपड़ा पहनने का अधिकार नहीं था। डॉ अम्बेडकर जो एक अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने भारतीय संविधान को एक नई दिशा दी।
डॉ अम्बेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान ने हमें समानता, न्याय और स्वतंत्रता का अधिकार दिया। उन्होंने अपने जीवन-काल में शिक्षा के महत्व पर विशेष रूप से जोर देते हुए एक ओर जहां लोगों को जागरूक किया वहीं दूसरी ओर दलितों, शोषितों और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनके प्रयासों के बदौलत ही हम सभी एक समृद्ध और शक्तिशाली विविधतापूर्ण समाज में जीवन यापन कर रहे हैं। लोगों ने कहा कि भाजपा और जदयू को छोड़कर देश के सभी पार्टियां डॉ अम्बेडकर, जेपी के विचारों एवं गांधी, लोहिया के सपनों का राष्ट निर्माण पर काम कर रही है। नेताओं ने कहा कि डॉ अम्बेडकर जो 14 भाषाओं का अध्ययन किया था ने पहली बार संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया और भारतीय संविधान का निर्माण किया। उन्होंने दलितों, शोषितों और वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष व लड़ाई लड़ी। उनके प्रयासों से हमें समानता, न्याय और स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार मिला।
बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर का सपना था कि अंग्रेजी हुकूमत और सामंती व्यवस्था तंग व तबाह समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को देश के मुख्यधारा से जोड़ कर शीर्ष स्थान पर पहुंचाना चाहते थे। लोगों ने कहा कि सत्ता पर कुंडली मारें बैठे लोग सत्ता हथियाने के लिए लोगों को गुमराह कर, लोकलुभावन वादे कर सत्ता पर काबिज तो हो जातें हैं, परंतु जब उस योजना का लाभ लोगों तक पहुंचाने का समय आता है, तो कहते हैं यह जुमला था। जैसे कि 15 लाख रुपए देने, साल में दो करोड़ युवाओं को नौकरी, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, पुल-पुलिया, खेती बाड़ी, सिंचाई, बिजली एवं किसानों को समय समय पर आर्थिक मदद के साथ साथ फसल मुआवजा एवं फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा का दरकार है।