MADHUBANI / EDUCATION NEWS :
मधुबनी : बिहार सरकार के उदासीनता एवं प्रशासनिक लालफीताशाही के कारण निरंकुश शिक्षा माफिया के द्वारा जिले भर में कुकुरमुत्ते की तरह प्राइवेट स्कूल खुल रहे है। प्राइवेट स्कूल संचालकों के लोकलुभावन वादे और सपने दिखा कर प्रखंड क्षेत्र के भोली-भाली जनता ठगने का काम किया जा रहा है। अब तो राजनीति करने वाले और अपने आप को बड़ा नेता समक्षने वाले लोग भी दनादन स्कूल खोल रहें हैं। गिरते शिक्षा के स्तर और मोटी कमाई के इस व्यापार से मर्माहत शिक्षा प्रेमियों का कहना है प्रखंड क्षेत्र में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के साथ साथ योग्य और अनुभवी शिक्षकों सुसज्जित विधालय खुले यह अच्छी बात है। परंतु शिक्षाविदों के द्वारा न कि नेताओं और शिक्षा को बाजारीकरण करने वालों लोगों के द्वारा। स्कूल खोलने हेतु सरकार और शिक्षा विभाग के द्वारा मापदंड लागू किया गया है।
परंतु इस सब से बेखबर शिक्षा के सौदागरों के द्वारा भोली-भाली जनता को लुभा कर बेहतर शिक्षा व्यवस्था के नाम पर गुमराह कर प्रवेश शुल्क, नामांकन शुल्क, परिवहन शुल्क, विकास शुल्क, साफ-सफाई शुल्क, क्रीड़ा शुल्क आदि मनमाने ढंग से वसुले जा रहें हैं। लाचार और बेबस जनता शिक्षा माफियाओं के दलाल द्वारा झांसा में लेकर विधालय तक लाया जाता है। इन सभी प्रकिया के बाद स्कूल संचालकों के द्वारा अब दूसरे फंडा जनता व अभिभावक के सामने रखा जाता है, किताब और स्कूल ड्रेस जिसे आपको स्कूल संचालकों से ही लेना है। सरकारी स्कूलों में जो किताबें सरकार के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है या फिर 100 से 200 में बाजार में आसानी से मिल जाता है, वहीं प्राइवेट स्कूल की किताबें 2500 से 4000 तक में लेना पड़ता है। फिर ड्रेस के नाम पर 2000 से 3000 लिया जाता है। इतना कुछ हो रहा है फिर भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों, प्रशासन बेखबर है। जबकि अधिकांश प्राइवेट स्कूल प्रशासनिक अधिकारी के उठने-बैठने वाले कार्यालयों के ज्यादा दुरी पर नहीं है।

