MADHUBANI / JHANJHARPUR NEWS :
मधुबनी/झंझारपुर : मधुबनी जिले के झंझारपुर प्रखंड में बेमौसम हुई बरसात से चिमनी ईंट भट्ठों पर करोड़ों रुपये के कच्चे ईंट गलकर बर्बाद हो गए हैं। बरसात ने चिमनी मालिकों की कमर तोड़कर रख दी है।
नवानी गांव स्थित जगदम्बा ईंट उद्योग के संचालक समाजसेवी गौतम झा ने बताया कि उनके चिमनी पर तीन लाख कच्चे ईंटों की बर्बादी हुई है। यही हाल सभी चिमनी भट्ठों का हुआ है।
ज्ञात हो कि यह एक ऐसा धंधा है कि जिसमें असंगठित क्षेत्र के लाखों मजदूरों को रोजगार मिलता है। बावजूद इसके चिमनी भट्ठा के नाम पर सरकारी बैंकों द्वारा किसी प्रकार का ॠण नही दिया जाता है। इस कच्चे रोजगार का किसी भी प्रकार का बीमा भी नही होता है, जिससे कि नुकसान की क्षतिपूर्ति भी हो सके। संचालकों का कहना है कि वे लोग सरकार को बिभिन्न तरह के टैक्स यथा, माइनिंग, प्रदूषण फी, जीएसटी, पेशाकर, आयकर हरेक चिमनी से प्राप्त होता है। बताया कि त्रासदी यह भी है कि सरकार को इतना भाड़ी टैक्स देने के बावजूद भी सरकारी योजनाओं में लाल ईंट को प्रतिबंधित कर दिया गया है। मधुबनी ईंट निर्माता संघ के जिलाध्यक्ष महेश महतो, संरक्षक लालबाबू सिंधी के मुताबिक झंझारपुर जीएसटी अंचल में एक सौ जबकि जिले में अभी 228 चिमनी चल रहे हैं।
बिहार ईंट निर्माता संध के महासचिव सह राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मोती धिरासारिया ने सरकार से मांग की है कि पूर्व की तरह सरकारी कामों में लाल ईंट का प्रयोग, बैंकों से ऋण देने, बीमा आदि का प्रावधान करते हुए प्राकृतिक क्षति का भुगतान किया जाए। आपको दें कि मधुबनी जिले में 228, जबकि झंझारपुर जीएसटी अंचल में संचालित हैं 100 ईंट भट्ठा संचालित होते हैं।