मधुबनी/बासोपट्टी: मधुबनी जिले के बासोपट्टी प्रखंड के स्थानीय बभनदेई तालाब पर लोक आस्था के महपर्व चैती छठ के तीसरे दिन व्रतियों ने उत्साह से डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दे रहे हैं। चैती छठ के तीसरे दिन शहर समेत जिले के कस्बाई इलाकों में पानी में खड़े होकर व्रतियों ने अर्घ्य देने की प्रक्रिया और छठ मैया से मनौतियां मांग रही हैं। इससे पहले बहंगी, प्रसाद व फल लेकर व्रती छठ मैया का गीत गाती नहर पर पहुंचीं। व्रती महिलाओं के साथ ही परिजनों ने भी छठ मइया की विधिवत पूजा-अर्चन कर रही। इस दौरान व्रती महिलाओं ने गीतों के माध्यम से छठ मइया की महिमा का बखान भी किया। संध्या समय शहर के बभनदेई घाट, कलेक्ट्रेट घाट, नहर घाट सहित कई घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई हैं। महिलाएं सिर पर टोकरी में लिए पूजन सामग्री के साथ घाटों पर पहुंचे, जबकि कलश पर जलते दीपक के साथ व्रती महिलाएं नंगे पैर छठ मइया के गीत गाते हुए घाट पर पहुंचीं। सूर्य उपासना के इस महापर्व पर छठ मइया के जयकारे से पूरा वातावरण गूंज रहा था। सूर्यास्त का समय होते ही छठ व्रती पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य की आराधना करेंगे। इसके बाद डूबते सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य अर्पित करेंगे। इस दौरान घाटों पर युवाओं और बच्चों में भी गजब का उत्साह देखा गया। पारंपरिक छठ गीत से माहौल भक्तिमय बना रहा। आज सुबह उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद पारण किया जाएगा। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ व्रत पूरा हो जाएगा। व्रतियों ने कहा कि कार्तिक महीने से ज्यादा कठिन चैती छठ हैं। गर्मी कि वजह से ये छठ मन्नत वाले ज्यादा तर करते हैं। छठ पर्व अपने आप में एक बहुत बड़ा पर्व है।
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