मधुबनी: मधुबनी में जल-जीवन-हरियाली दिवस के अवसर पर समाहरणालय सभाकक्ष में एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण, जल प्रबंधन, कृषि के सतत विकास तथा हरित पहल को बढ़ावा देने पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
परिचर्चा के दौरान वैकल्पिक फसलों, टपकन सिंचाई, जैविक खेती, फसल अवशेष प्रबंधन एवं जल संरक्षण से संबंधित आधुनिक तकनीकों पर उपस्थित अधिकारियों ने अपने विचार साझा किए। उपस्थित कृषि वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों ने इन विषयों पर गहन मंथन भी किया और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस रणनीतियाँ तैयार करने पर बल दिया।
जिला कृषि पदाधिकारी ने अपने संबोधन में जल संरक्षण और हरियाली बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया और किसानों से जलवायु अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत विभिन्न योजनाओं और सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयास पर भी चर्चा की गई, जिससे किसानों को लाभ पहुंचाया जा सके। कार्यक्रम का समापन पर्यावरण संरक्षण और जल प्रबंधन को बढ़ावा देने की शपथ के साथ किया गया। कार्यक्रम में फसल अवशेष प्रबंधन पर भी विस्तृत चर्चा की गई साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि फसल अवशेष को जलाने से होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर व्यापक जागरूकता चलाई जाए। पटना में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का भी समाहरणालय सभाकक्ष में आयोजित कार्यक्रम में सीधा प्रसारण किया गया।
उक्त बैठक में उप निर्देशक जनसंपर्क परिमल कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी ललन चौधरी, सभी अनुमंडलीय एवं प्रखंड कृषि पदाधिकारी, कृषि वैज्ञानिक आदि उपस्थित थे।