- हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं रहने के कारण मरीज का इलाज हो रहा प्रभावित
- दर्जनों हृदय रोगियों को किया गया रेफर
- सदर अस्पताल में कार्डियक केयर यूनिट भी नहीं है उपलब्ध
खबर दस्तक
मधुबनी :
मधुबनी सदर अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ पदस्थापित नहीं हैं, जिसके कारण हृदय रोगियों का इलाज प्रभावित हो रहा है। सदर अस्पताल में सात माह में 2081 हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को पंजीकृत कर इलाज किया गया। इसमें 40 से 55 प्रतिशत क्रिटिकल मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए उच्च संस्थानों में रेफर किया गया। वहीं जिला में कार्डियक मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। सदर अस्पताल से मिली आंकड़ों पर गौर करें, तो जनवरी माह में 223, फरवरी में 228, मार्च से 278, अप्रैल में 266, मई में 317, जून में 345 एवं जुलाई में 474 कार्डियक मरीजों का ईसीजी जांच की गई।
विगत 22 अगस्त को सात मरीजों की जांच की इसमें चार क्रिटिकल मरीजों को तत्काल रेफर कर दिया गया।
हृदय रोग विशेषज्ञ के अभाव में 700-800 गंभीर मरीजों को किया गया रेफर :
सदर अस्पताल में कार्डियक विशेषज्ञ चिकित्सकों के नहीं रहने के क्रिटिकल हृदय रोगियों को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया गया। सदर अस्पताल परिसर मेंं कार्डियक केयर यूनिट भी स्थापित नहीं है। इसके कारण कार्डियक के सामान्य मरीजों को आईसीयू में भर्ती कर इलाज करने का प्रबंध किया गया है। हालांकि इसमें बीपी, सुगर, सांस, दमा सहित अन्य क्रिटिकल मरीजों को भी भर्ती किया जाता है। हृदय रोग के मरीजों के इलाज के लिए सदर अस्पताल के फिजिशियन की सहायता से आइसीयू में हृदय रोग के मरीजों को भर्ती कर प्राथमिक उपचार किया जाता है। मरीज की स्थिति गंभीर होती है, तो डाक्टर द्वारा उच्च संस्थानों मेंबर किया जाता है। सदर अस्पताल के दूसरे मंजिल पर स्थापित छः बेड वाले आइसीयू में हृदय रोग के मरीजों का प्राथमिक उपचार किया जाता हैं। इस वार्ड में बीपी, सुगर व हार्ट के मरीजों को कार्डियक मॉनिटर से पल्स व बीपी, वेंटीलेटर मशीन से सांस व इसीजी टेस्ट से हार्ट की वर्तमान स्थिति की जानकारी चिकित्सक द्वारा ली जाती है। जरूरत पड़ने पर टेल्मीसाटन, एम्लोडीपीन, सार्बिटेट, इकोस्प्रीन व लापसिक्स सहित अन्य दवाएं उपलब्ध करायी जाती है। एनसीडी सेल भी हृदय रोग को चिन्हित कराती है।
स्वास्थ्य विभाग के गैर संचारी रोग सेल द्वारा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में हृदय रोगियो को चिन्हित कर दवा उपलब्ध कराया जाता है। जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर एस.एन. झा ने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंडों में हृदय रोग से संबंधित लगभग छः से सात हजार मरीजों को चिन्हित किया गया है। इनमें से करीब दो से तीन हजार मरीजों का इलाज चल रहा है और तीन से चार हजार मरीजों को मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है।
हृदय रोग होने के कारण :
सदर अस्पताल के डॉक्टर विनय कुमार बताते हैं कि धूम्रपान करने, जरूरत से बहुत ज्यादा वजन होने, अस्वस्थ आहार और जंक फूड ज्यादा खाने, अतिरिक्त कोलेस्ट्रोल होने, धमनियों के भीतर निरंतर ‘वसा की परत जमने, धमनियों के संकरी और कड़ी होने जैसे कई कारणों से हृदय रोग होता है। हृदय रोग से बचाव के उपाय डॉक्टर. संतोष कुमार बताते हैं कि संतुलित एवं स्वस्थ आहार लेने, ताजे फल और सब्जियों के खाने, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करने, धू्म्रपान एवं शराब का त्याग करने, वजन संतुलित करने, हृदय रोग का कोई भी लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ से सलाह लेने से हृदय रोग से बचा जा सकता है। सदर अस्पताल में आने वाले हृदय रोगियों को आइसीयू में भर्ती कर प्राथमिक उपचार किया जाता है। उसे आवश्यक दवाएं उपलब्ध करायी जाती हैं। गम्भीर हृदय रोगियों का प्राथमिक उपचार कर बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया जाता है।