खबर दस्तक
सीतामढ़ी (बोखड़ा) :
छोटे से गाँव बनौल पंचायत की यह कहानी अब पूरे देश में सुनाई दे रही है। यहाँ की मुखिया कुमारी अर्चना ने अपने कार्यों से यह साबित कर दिया कि सीमित संसाधनों और तमाम चुनौतियों के बावजूद ईमानदारी और लगन से जनता की सेवा की जाए तो बदलाव नामुमकिन नहीं।
उनकी कड़ी मेहनत, पारदर्शी कार्यशैली और विकास के प्रति जुनून को देखते हुए इस वर्ष 15 अगस्त के ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री स्वयं उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करेंगे। इस घोषणा के बाद पूरे पंचायत में मानो दिवाली का माहौल है। गाँव-गाँव में लोग मिठाई बांट रहे हैं, ढोल-नगाड़ों की थाप पर खुशी जाहिर कर रहे हैं, और हर जुबान पर एक ही नाम है – “अर्चना दीदी”।
संघर्ष से सफलता तक – एक प्रेरक यात्रा
कुमारी अर्चना की कहानी केवल राजनीतिक उपलब्धियों की नहीं, बल्कि संघर्ष, साहस और सेवा की कहानी है। 2011 में उन्होंने पहली बार पंचायत समिति सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। उस समय सीमित फंड और संसाधनों के बावजूद उन्होंने जनसंपर्क को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया। 2016 में मुखिया पद का चुनाव लड़ा – महज 2 वोट से जीत हासिल हुई, लेकिन विपक्षी की रिकाउंटिंग याचिका में 1 वोट से हार गईं। हार के बाद अधिकांश लोग राजनीति छोड़ देते हैं, लेकिन अर्चना ने इसे सेवा का दूसरा मौका समझा। अगले पाँच साल तक उन्होंने गाँव-गाँव जाकर लोगों की समस्याएँ सुनीं, उनके बीच रहीं, और हर छोटे-बड़े काम में उनका साथ दिया।
वापसी और ऐतिहासिक जीत:
उनकी ईमानदारी और सेवा-भावना का नतीजा यह हुआ कि 2021 के पंचायत चुनाव में अर्चना ने लगभग 1700 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की। यह जीत सिर्फ एक पद की नहीं, बल्कि जनता के विश्वास की जीत थी।
मुखिया पद संभालने के बाद उन्होंने एक के बाद एक विकास योजनाओं को तेजी से लागू किया। उन्होंने विकास की मिसाल पेश करते हुए बनौल पंचायत का कायाकल्प करने का काम किया। उनके द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना – सैकड़ों गरीब परिवारों को पक्का मकान दिलाने,जल-जीवन-हरियाली अभियान – जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और वृक्षारोपण, नली-गली पक्कीकरण योजना – हर गली को पक्की सड़क से जोड़ने,स्वच्छ भारत मिशन – हर घर में शौचालय, कचरा प्रबंधन, और सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई पर जोर। महिला एवं युवा सशक्तिकरण – स्वरोजगार योजनाएँ, सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण केंद्र और स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय मदद। शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस – स्कूलों की मरम्मत, स्मार्ट क्लास की शुरुआत, और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का विस्तार करने सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्य किया गया।
जनता का प्यार और गर्व::
बनौल के बुजुर्ग किसान रामजी यादव कहते हैं –
“हमने पहले कभी नहीं सोचा था कि हमारा पंचायत राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाएगा। अर्चना जी ने यह कर दिखाया है। वे दिन-रात हमारे बीच रहती हैं, यही उनकी असली ताकत है।”
महिला समूह की सदस्य सीमा देवी बताती हैं –
“पहले महिलाएं पंचायत भवन में अपनी बात कहने से डरती थीं। अर्चना दीदी ने हमें आवाज दी और रोजगार के रास्ते खोले। हम सब उन्हें गर्व से अपनी नेता कहते हैं।”
पड़ोसी पंचायतों के लिए आदर्श
आज आसपास की पंचायतों में अर्चना के कामों की चर्चा है। कई जनप्रतिनिधि उनके मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके लिए अर्चना अब “ग्राम विकास की रोल मॉडल” बन चुकी हैं।
15 अगस्त को होगी ऐतिहासिक घड़ी
स्वतंत्रता दिवस के दिन जब लाल किले की प्राचीर से देश के नाम प्रधानमंत्री का संदेश गूंजेगा, उसी दिन देशभर के चुनिंदा जनप्रतिनिधियों को सम्मानित किया जाएगा। उनमें से एक होंगी – बनौल पंचायत की मुखिया कुमारी अर्चना। यह सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उस पूरे पंचायत का है, जिसने विकास को अपना लक्ष्य बनाया। कुमारी अर्चना की यात्रा बताती है कि राजनीति में भी ईमानदारी और सेवा से चमत्कार किया जा सकता है। आज बनौल पंचायत स्वच्छ, सशक्त और आत्मनिर्भर बनने की राह पर है। आने वाले वर्षों में जब लोग पंचायत विकास की मिसाल देंगे, तो शायद कहेंगे –
“अगर मुखिया हो तो अर्चना जैसी – जो गाँव की बेटी भी है और गाँव की नेता भी।”