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सीतामढ़ी :
रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व पर, जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर प्रेम और सुरक्षा का वचन लेती हैं, उसी भावना को धरती और पर्यावरण के प्रति समर्पित करते हुए सीतामढ़ी में एक अनोखी मिसाल पेश की गई। इस अवसर पर, बिहार वृक्ष सुरक्षा दिवस एवं बिहार पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में वन प्रमंडल परिसर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें प्रकृति को संरक्षित करने और पर्यावरण संतुलन बनाए रखने का संकल्प लिया गया।
इस विशेष आयोजन में सीतामढ़ी वन प्रमंडल पदाधिकारी डॉ. अमिता राज और जैव विविधता प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सह ‘ट्री मैन’ सुजीत कुमार ने परिसर में स्थित एक वृक्ष को राखी बांधकर पर्यावरण संरक्षण का सशक्त संदेश दिया। यह पहल न केवल प्रतीकात्मक थी, बल्कि समाज को यह याद दिलाने वाली भी कि वृक्ष हमारे जीवन के वास्तविक रक्षक हैं।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था लोगों में वृक्षों के महत्व, पर्यावरणीय संतुलन की अनिवार्यता, और धरती को बचाने के लिए ठोस एवं सामूहिक प्रयासों की प्रेरणा जगाना।
इस मौके पर वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, पर्यावरण प्रेमी, सामाजिक कार्यकर्ता, स्कूली बच्चे और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिससे कार्यक्रम का माहौल और भी ऊर्जावान हो गया।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. अमिता राज ने सभी उपस्थित लोगों को ‘ग्यारह सूत्री संकल्प’ दिलवाए, जिनमें शामिल थे—हर साल अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना, जल स्रोतों का संरक्षण, प्लास्टिक का पूर्ण परित्याग, जैव विविधता की रक्षा, वन्य जीवों की सुरक्षा, और प्राकृतिक संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग जैसे अहम बिंदु। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना किसी एक व्यक्ति या संस्था की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है।
मौके पर ‘ट्री मैन’ सुजीत कुमार ने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि वृक्ष केवल ऑक्सीजन देने वाले साधन नहीं हैं, बल्कि यह हमारे जीवन, संस्कृति और अस्तित्व के आधारस्तंभ हैं। उन्होंने सभी से अपील की कि हर व्यक्ति अपने जीवन में कम-से-कम एक वृक्ष को गोद ले, उसकी देखभाल करे और उसे तब तक संरक्षित रखे, जब तक वह पूर्ण रूप से विकसित न हो जाए।
वहीं, डॉ. अमिता राज ने रक्षाबंधन के भावनात्मक प्रतीक को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ते हुए कहा कि जैसे भाई-बहन का रिश्ता रक्षा और प्रेम पर आधारित होता है, वैसे ही हमें धरती और इसके हर जीव-जंतु के साथ भी ऐसा ही रिश्ता निभाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब हम वृक्ष को बचाते हैं, तो हम न केवल अपनी पीढ़ी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के जीवन को भी सुरक्षित करते हैं।
कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों ने वृक्षों की रक्षा, पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सामूहिक शपथ ली। कार्यक्रम स्थल पर लगे पौधों और वृक्षों की देखरेख की जिम्मेदारी भी कुछ स्थानीय युवाओं ने स्वेच्छा से स्वीकार की।
बता दें कि ऐसे आयोजन न केवल एक प्रेरणादायक पहल के रूप में इतिहास में दर्ज होगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश भी छोड़ जाएगा कि रक्षाबंधन का असली अर्थ केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है, बल्कि संपूर्ण सृष्टि की रक्षा, प्रेम और संरक्षण की भावना में भी निहित है। सीतामढ़ी की यह पहल पूरे प्रदेश और देश के लिए एक आदर्श बन सकती है, यदि हर क्षेत्र में लोग इसी भावना के साथ प्रकृति की रक्षा का संकल्प लें।