- नगर निगम से दो करोड़ खर्च का दावा
यह सिर्फ मेयर का अपमान नहीं, अपितु जनता की लोकतांत्रिक भावना की अवमानना है : मेयर रौनक जहां
खबर दस्तक
सीतामढ़ी :
नसीम अहमद
सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम में आयोजित भव्य शिलान्यास समारोह ने जहां एक ओर धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक गौरव और विकास की नई उम्मीदों को जन्म दिया, वहीं दूसरी ओर इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में हुई एक लोकतांत्रिक अपमान की घटना ने समूचे सीतामढ़ी को झकझोर कर रख दिया।
नगर निगम सीतामढ़ी की माननीय मेयर रौनक जहां को इस अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम में न तो मंच पर स्थान मिला, और न ही प्रवेश की अनुमति। हैरान करने वाली बात यह है कि इसी कार्यक्रम की व्यवस्थाओं पर नगर निगम द्वारा लगभग ₹2 करोड़ खर्च किए जाने का दावा किया गया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि जब एक जनप्रतिनिधि को सम्मान नहीं मिलेगा, तो फिर लोकतंत्र की गरिमा का क्या अर्थ रह जाएगा?
जनता की चुनी हुई प्रतिनिधि से ऐसा व्यवहार क्यों?
मेयर रौनक जहां सीतामढ़ी की पहली महिला महापौर हैं और उन्हें लाखों लोगों ने वोट देकर चुना है। नगर क्षेत्र की विकास योजनाओं से लेकर स्वच्छता, रोशनी, जल निकासी और शहरी आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने में उनकी भूमिका अहम रही है।
पुनौराधाम विकास योजना के अंतर्गत जो शिलान्यास समारोह हुआ, उसमें नगर निगम की सक्रिय भागीदारी और संसाधनों का प्रयोग हुआ, फिर भी नगर निगम की पहली नागरिक को ही नजरअंदाज कर देना — इसे प्रशासनिक भूल कहें या जानबूझकर किया गया राजनीतिक अपमान?
सूत्रों के अनुसार, मेयर जब कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं तो उन्हें प्रवेश द्वार पर ही रोक दिया गया। उनका नाम अतिथि सूची में न होने की बात कहकर उन्हें मुख्य मंच या अतिथि दीर्घा में जाने नहीं दिया गया। प्रशासन की इस कार्रवाई से नगर निगम के अन्य पार्षद, स्थानीय जनप्रतिनिधि और जनता भी स्तब्ध रह गई।
नगर निगम का 2 करोड़ खर्च, फिर भी प्रतिनिधि को सम्मान नहीं :
जानकारी के मुताबिक, इस शिलान्यास समारोह की साज-सज्जा, मंच निर्माण, पेयजल, सफाई, लाइटिंग, मार्ग मरम्मत, बैरिकेडिंग और अन्य व्यवस्थाओं में सीतामढ़ी नगर निगम की सीधी भूमिका रही। इन सब पर निगम से करीब दो करोड़ रुपये खर्च किए जाने की बात सामने आई है।
तो फिर, जिस संस्था ने कार्यक्रम को भव्य और व्यवस्थित बनाने में अहम योगदान दिया, उसके सर्वोच्च प्रतिनिधि को ही कार्यक्रम से बाहर रखना, यह किसी भी सूरत में सामान्य चूक नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा प्रहार प्रतीत होता है।
घटना को लेकर अब तक प्रशासन की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में इस मुद्दे पर गहरी नाराज़गी देखी जा रही है। कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इसे मेयर रौनक जहां का नहीं, बल्कि सीतामढ़ी की जनता का अपमान बताया है।
स्थानीय नागरिक संगठनों ने भी इस बात को लेकर विरोध दर्ज कराया है कि एक महिला जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा व्यवहार समाज को क्या संदेश देता है? खासतौर पर तब, जब महिला सशक्तिकरण और जनसुनवाई की बात सरकार के एजेंडे में सबसे ऊपर है।
यह अब स्पष्ट नहीं है कि मेयर रौनक जहां को आमंत्रित न करने के पीछे कोई राजनीतिक मंशा थी या फिर प्रोटोकॉल में हुई लापरवाही। लेकिन यह तय है कि इस घटना ने लोकतंत्र की उस गरिमा को गहरा आघात पहुंचाया है, जिसमें जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को उचित सम्मान मिलना चाहिए।
इस प्रकरण पर मेयर रौनक जहां ने इस पूरे घटनाक्रम पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि वे आहत हैं और उचित समय पर इस विषय को लेकर जनप्रतिनिधि और प्रशासन के स्तर पर अपनी बात रखेंगी। उनकी चुप्पी में भी एक तीव्र विरोध का संकेत छुपा हुआ है।