खबर दस्तक
सीतामढ़ी :
नसीम अहमद
सीतामढ़ी शहर के हृदयस्थल मेहसौल में निर्माणाधीन आरओबी(रेलवे ओवर ब्रिज) वर्षों से अधूरे पथ पर खड़ा है। यह परियोजना, जो कभी सीतामढ़ीवासियों के लिए जाम और असुविधा से राहत का प्रतीक मानी जा रही थी, आज एक प्रतीक बन चुकी है प्रशासनिक लापरवाही और निर्माण कार्यों में हो रही अनावश्यक देरी का।
रेल क्रॉसिंग पर रोजाना घंटों का जाम, साइकिल से लेकर एंबुलेंस तक का फँसना, बच्चों का स्कूल देर से पहुँचना, और कार्यालय कर्मचारियों का समय पर न पहुँच पाना यह सब अब आम दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। आरओबी निर्माण के नाम पर लोगों की उम्मीदें जिस तरह से अधर में लटकी हैं, उससे शहर की तस्वीर और तक़दीर दोनों पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
वर्षों से लटकी परियोजना :
आरओबी का निर्माण कार्य रेलवे और पथ निर्माण विभाग के संयुक्त प्रयास से शुरू हुआ था। शुरुआत में उम्मीद जताई गई थी कि यह कार्य डेढ़ से दो वर्षों में पूरा कर लिया जाएगा। परंतु राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, फंड रिलीज़ में विलंब, तकनीकी पेच और संवेदकों की निष्क्रियता ने इस परियोजना को अधर में डाल दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण कार्य कभी तेज़ी से चलता है, तो कभी महीनों तक एक ईंट भी नहीं लगती। पुल के पिलर खड़े तो हैं, लेकिन उन पर चढ़ने वाली सड़कें अधूरी हैं, अप्रोच रोड का काम अधर में है और रेलवे विभाग से समन्वय की प्रक्रिया भी धीमी है।
आम जनता का आक्रोश :
आरओबी के कारण प्रभावित लोग अब आक्रोशित हैं। आसपास के दुकानदारों का व्यवसाय ठप पड़ चुका है, आवागमन बाधित है और कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। विशेषकर स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्रों और बुज़ुर्गों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय निवासी सुरेश प्रसाद कहते हैं, “यह पुल विकास नहीं, दुखों का कारण बन गया है। दिन में तीन-तीन बार फाटक बंद होता है, और आरओबी को सालों से देखते-देखते आंखें थक चुकी हैं।”
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी :
विकास की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले जनप्रतिनिधि इस मसले पर मौन हैं। ना तो ठोस पहल की जा रही है, और ना ही जनता को भरोसे में लिया जा रहा है। प्रशासनिक बैठकों में इस मुद्दे को उठाया जरूर जाता है, पर ज़मीनी कारवाई शून्य के बराबर है।
आरओबी के निर्माण में हो रही देरी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीतामढ़ी जैसे सीमावर्ती जिलों को अब भी प्राथमिकता की सूची में ऊपर नहीं रखा गया है। समय की मांग है कि राज्य सरकार, रेलवे मंत्रालय और ज़िला प्रशासन एकजुट होकर इस कार्य को शीघ्र पूर्ण करने हेतु ठोस रोडमैप बनाएं।
बता दें कि मेहसौल आरओबी सिर्फ एक ब्रिज नहीं, यह सीतामढ़ी की विकास गाथा का अहम अध्याय है जो अधूरा है, थमा हुआ है और जनता की उम्मीदों को छल रहा है। यह आवश्यक है कि इसे प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया जाए, ताकि सीतामढ़ी एक व्यवस्थित, सुगम और सुरक्षित यातायात व्यवस्था की ओर बढ़ सके।

