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सुरसंड /सीतामढ़ी :
सुरसंड मुख्य बाजार में अतिक्रमण की बढ़ती समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन ने एक बार फिर सख्ती दिखाई है। अंचल अधिकारी सतीश कुमार एवं नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी देवानंद के नेतृत्व में नगर प्रशासन ने मुख्य सड़क को अतिक्रमण से मुक्त कराने का अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान अतिक्रमणकारियों को सख्त चेतावनी दी गई कि वे भविष्य में दोबारा अतिक्रमण करने से परहेज करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई के तहत जुर्माना वसूला जाएगा।
अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि बाजार की मुख्य सड़क पर बेतरतीब तरीके से फैल रहे ठेले, खोमचे, अस्थायी दुकानों और निर्माणों ने न केवल यातायात को बाधित किया है, बल्कि आम जनता की आवाजाही को भी कठिन बना दिया है। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि बाजार की मुख्य सड़क जो कभी आमजन की सुविधा के लिए निर्मित की गई थी, अब महज 5 से 6 एकड़ में सिमट कर रह गई है, जबकि यह पूरा बाजार कभी स्वर्गीय रानी राजवंशी कुवंर द्वारा 22 एकड़ भूमि प्रशासन को बाजार के रूप में समर्पित की गई थी।
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के समय नगर पंचायत के स्वच्छता प्रभारी रवि भूषण, अवर निरीक्षक अभिजीत कुमार सिंह, राजीव कुमार पांडेय, जिला पुलिस बल के सशस्त्र जवान, महिला बल सहित दर्जनों कर्मी मौके पर मौजूद रहे। इस अभियान के तहत सुरसंड के अन्य प्रमुख इलाके जैसे मिठाई मुहल्ला, अलुआ बाजार, डाक घर रोड, और काला मंदिर से एनएच-227 तक के क्षेत्रों को भी अतिक्रमण से मुक्त कराने की योजना बनाई गई है। अधिकारीगण ने बताया कि अतिक्रमण विरोधी यह मुहिम लगातार जारी रहेगी और जो भी व्यक्ति दोबारा अतिक्रमण करते पाए जाएंगे, उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई एवं आर्थिक दंड दोनों लगाया जाएगा।
भूतपूर्व बंदोबस्ती पर उठा विवाद, फुटपाथ दुकानदारों का प्रशासन पर आरोप
कार्रवाई के दौरान फुटपाथ दुकानदारों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। दुकानदारों का कहना है कि पूर्व में तैनात एक अंचल अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार एवं पैसे के बल पर उनकी महिलाओं के नाम से जमीन की बंदोबस्ती करवा दी गई थी, जो पूरी तरह अनुचित और गैरकानूनी है। दुकानदारों ने कहा कि यह जमीन कभी बाजार के हित में स्वर्गीय रानी राजवंशी कुवंर द्वारा दी गई थी, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए। फुटपाथ दुकानदारों ने यह भी मांग रखी कि इन भ्रष्ट बंदोबस्तों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और गलत ढंग से बनाए गए मकानों और दुकानों को ध्वस्त कर जमीन को फिर से सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल लायक बनाया जाए। उनका कहना है कि यदि प्रशासन इस ओर गंभीरता नहीं दिखाता, तो वे मजबूरन जन आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि गरीब, मजदूर और छोटे दुकानदारों को उजाड़ा गया और भ्रष्ट बंदोबस्ती को संरक्षित रखा गया, तो उसकी पूरी जवाबदेही प्रशासन पर होगी।
प्रशासन की दो टूक
इस पूरे घटनाक्रम पर अंचल अधिकारी सतीश कुमार ने कहा कि प्रशासन किसी के भी साथ अन्याय नहीं करेगा, लेकिन कानून व्यवस्था और शहरी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है। नगर प्रशासन द्वारा सभी संबंधित दस्तावेजों और बंदोबस्ती की पुनः जांच की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी देवानंद ने भी दोहराया कि भविष्य में बाजार को व्यवस्थित, स्वच्छ एवं यातायात योग्य बनाने की दिशा में यह जरूरी कदम है और आम जनता का सहयोग अपेक्षित है।सुरसंड बाजार में अतिक्रमण पर प्रशासन की यह कार्रवाई सख्त लेकिन जरूरी कदम के रूप में सामने आई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन भविष्य में फुटपाथ दुकानदारों की मांगों पर कितना गंभीरता से विचार करता है, और क्या भूतपूर्व अंचल अधिकारी द्वारा की गई बंदोबस्ती की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाती है या नहीं। जनता की नजर अब प्रशासनिक ईमानदारी और पारदर्शिता पर टिकी है।