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दरभंगा :
ऑल इंडिया सेव एजुकेशन कमिटी दरभंगा चैप्टर की और से स्थानीय एम.एल.एस.एम कॉलेज दरभंगा में एन.ई.पी 2020 से लागू शिक्षा के समक्ष चुनौतियां विषय पर इतिहासकार डॉ. धर्मेंद्र कुमार की अध्यक्षता में परिचर्चा आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. लाल कुमार एवं मुजाहिद आजम ने संयुक्त रूप से किया।
परिचर्चा को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता ऑल इंडिया सेव एजुकेशन कमिटी के अखिल भारतीय महासचिव प्रो. तरुण कांति नाश्कर ने अपने संबोधन में कहा कि नवजागरण काल के मनीषियों, आजादी आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था, कि आजादी के बाद धर्मनिरपेक्ष, जनवादी एवं वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति लागू होगी और इसकी आर्थिक जिम्मेदारी गठित सरकार की होगी। लेकिन आजादी के बाद से ही जो सरकारें बनी, वह शिक्षा के निजीकरण, व्यापारी करण सांप्रदायिक करण एवं केंद्रीयकरण के लिए ही काम किया।
लेकिन भाजपा शासित केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाई गई है, यह पूरी तौर पर देश के आम किसान मजदूर के बच्चों के हाथ से शिक्षा को छीन लेगी और देश के कार्पोरेट घरानों को मुनाफा कमाने के वस्तु में तब्दील करके रख देगी। शिक्षा बजट में लगातार कटौती जारी है। पूरे देश भर में स्कूलों को क्लोजर एवं मर्जर नीति के तहत् बंद किया जा रहा है। सरकार चाहती है कि गरीब, किसान, मजदूर के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाए और इस व्यवस्था में मजदूर बनकर पूंजीपतियों के मुनाफा लूटने के साधन में बदल के रह जाएंगे। संबोधन करते हुए डॉ. उमेश कुमार उत्पल ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों के समग्र ज्ञान में तो बाधक है ही, साथ ही इंडियन नॉलेज सिस्टम पर विस्तार से चर्चा की।
अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि इतिहास के तथ्यों को बदलकर और विकृत कर पौराणिक कथाओं के आधार पर इतिहास का पूर्ण लेखन जारी है। भारतीय ज्ञान प्रणाली के नाम पर अब वैज्ञानिक, अंधविश्वास एवं कट्टरता आधारित ज्ञान को सिलेबस में डालकर आधुनिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा को खत्म करने का प्रयास चल रहा है।
परिचर्चा को संबोधित करने वालों में डॉ. ज्वाला चन्द्र चौधरी, शिक्षक सुधांशु कुमार, डॉ. जमिल हसन अंसारी, हीरालाल साहनी, डॉ. अनुज कुमार, अभिषेक कुमार भगत, यश चौधरी, मानसी कुमारी, दुर्गा नंद ठाकुर, सियाराम मुखिया, हरे राम, राजू कुमार मंडल, नाजमी आदि प्रमुख थे। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ जन आंदोलन निर्मित करने के लिए पच्चिस सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया गया, जिसमें मुजाहिद आजम एवं डॉ. लाल कुमार को सर्वसम्मति से संयुक्त रूप से संयोजक चुना गया है।