- परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों के लगाए गए स्टॉल
- अस्पतालों में लगे मेले में परिवार नियोजन की सामग्री बंटी
- एमपीए सब-कुटेनियस सेवा की हुई शुरुआत
- एक इंजेक्शन से तीन माह तक गर्भ धारण रोकने मे सक्षम
खबर दस्तक
मधुबनी :
मधुबनी जिले में में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा शुरू किया गया, जो 31 जुलाई तक मनाया जाएगा। इस अवसर पर मधुबनी सदर अस्पताल में परिवार नियोजन मेले का भी आयोजन किया गया। मेले का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने फीता काट कर किया। मेले में परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों से संबंधित सामग्री यथा – कंडोम, कॉपर-टी, अंतरा, माला डी सहित अन्य साधनों के स्टाल लगाए गए तथा लाभार्थियों के बीच उचित परामर्श देकर वितरित किए गए।
वहीं इस दौरान जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा की दिशा में जिले में एक नई पहल की गई, जिसके तहत सदर अस्पताल में एमपीए सब-कुटेनियस इंजेक्शन सेवा की शुरुआत की गई। यह गर्भनिरोधक का आधुनिक सुरक्षित और दीर्घकालिक अस्थाई साधन है। महिलाएं इसे आसानी से प्राप्त कर सकेंगे पहले चरण में जिले में सदर अस्पताल एवं अनुमंडलीय अस्पताल झंझारपुर में यह सेवा शुरू की गई है, जिसके लिए 960 इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।
सिविल सर्जन ने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति का निर्देश पर यह सेवा शुरू की गई है। अब तक यह सुविधा केवल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मुंगेर व शेखपुरा में चल रही थी, वहां इसकी सफलता को देखते हुए अब इसे मधुबनी में भी लागू किया गया है। यह इंजेक्शन तीन महीने तक गर्भधारण से रोकने में सक्षम है एवं पूरी तरह से सुरक्षित है। सेवा के प्रभावी संचालन के लिए जिले के चयनित एमबीबीएस चिकित्सक भावना ग्रुम एवं डॉ सुमन कुमारी को पटना में प्रशिक्षण दिया गया है। विशेषज्ञ चिकित्सा भावना ने लाभार्थियों को इंजेक्शन के उपयोग, लाभ, परामर्श प्रक्रिया और लाभार्थियों से संवाद के व्यावहारिक पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया।
इंजेक्शन लेने वाली महिलाओं को 100रु. और उन्हें प्रेरित करने वाली आशा कार्यकर्ताओं को भी 100रु. के प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। सिविल सर्जन ने बताया एमपीए सब-कुटेनियस इंजेक्शन एक आधुनिक गर्भनिरोधक है, इसे मांसपेशियों और त्वचा के बीच लगाया जाता है। इसमें दवा पहले से लोड होती है, जिसमें जिसे देना आसान होता है। तीन महीने तक गर्भधारण का रोकथाम करता है, साथ ही इसका शरीर पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता। महिलाएं हर तीन माह पर सिर्फ एक डोज की जरूरत होती है। उन्होंने बताया जिले की महिलाएं अब गर्भ निरोधक के लिए भरोसेमंद और सुलभ विकल्प चुन सकेगी।
दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रहने से जच्चा और बच्चा, दोनों स्वस्थ रहता है :
सिविल सर्जन डॉ हरेंद्र कुमार ने बताया कि परिवार नियोजन पखवाड़ा के तहत जिले के एक बच्चे वाले दंपत्ति की काउंसिलिंग की जा रही है। उन्हें दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रखने की सलाह दी जा रही है। दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रहने से जच्चा और बच्चा, दोनों स्वस्थ रहता है। बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। भविष्य में होने वाली किसी भी तरह की बीमारी से वह लड़ने में सक्षम होता है, साथ ही नवविवाहिताओं को पहले बच्चे की योजना बीस साल के बाद ही करने की भी सलाह दी जा रही है।
मेले में परिवार नियोजन की जागरूकता के साथ सामग्री का वितरण :
जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास ने बताया परिवार नियोजन पखवाड़ा के तहत जिले के सरकारी अस्पतालों में लगे मेले के स्टॉलों पर लोगों को परिवार नियोजन से संबंधित अस्थाई सामग्री दी गई। कंडोम, कॉपर-टी और अंतरा का वितरण किया गया। लोगों को परिवार नियोजन में इसका इस्तेमाल करने के लिए जागरूक किया गया। उन्हें समझाया गया कि इससे किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, इसलिए परिवार नियोजन को लेकर निःसंकोच इसका इस्तेमाल करें। पखवाड़ा के दौरान वैकल्पिक उपायों की भी जानकारी दी गयी, ताकि अगर कोई महिला परिवार नियोजन ऑपरेशन को अपनाने के लिए इच्छुक है, किन्तु, उनका शरीर ऑपरेशन के लिए सक्षम नहीं है, तो ऐसी महिला को वैकल्पिक व्यवस्था में शामिल कंडोम, काॅपर-टी, छाया, अंतरा समेत अन्य उपायों को अपना सकती हैं। वहीं, उन्होंने बताया, वैकल्पिक उपाय भी पूरी तरह सुरक्षित है।
मेले में एसीएमओ डॉ एस.एन. झा, सडीओ डॉ. जी.एम. ठाकुर, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक नवीन दास, आईडीएसपी के अनिल चक्रवर्ती, पिरामल के धीरज सिंह, विवेक कुमार, पीएसआई इंडिया के कौशल सिंह, रजत झा, लेखपाल मनीष कुमार सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।

