खबर दस्तक
मधुबनी/लदनियां :
मधुबनी जिले के बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र से राजद के पूर्व विधायक प्रोफेसर उमा कांत यादव, पूर्व जिला परिषद सदस्य सह राजद प्रदेश सचिव राम अशीष पासवान, पूर्व पंचायत समिति सदस्य राम कुमार यादव, पूर्व प्रमुख भोगेन्द्र यादव, मुखिया अजय कुमार साह, पूर्व मुखिया गणेश यादव ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण को लेकर चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। चुनाव आयोग को भारतीय जनता पार्टी का गुलामी करने तथा बीस प्रतिशत मतदाताओं को हटाने एवं मतदान से वंचित करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
मतदाता सूची पुनरीक्षण के नाम पर दलित, महादलित, मजदूर, कमजोर एवं अल्पसंख्यक वर्ग के बीस प्रतिशत मतदाताओं को अपने मताधिकार से वंचित करने की चुनाव आयोग और सरकार ने अलोकतांत्रिक ऐजंडा निर्धारित किया है। इस अलोकतांत्रिक ऐजंडा के विरोध में विपक्ष के प्रतिनिधि मंडल ने चुनाव आयोग से मिल कर शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन चुनाव आयोग ने विपक्षी प्रतिनिधि मंडल के एक भी सवालों का संतोषजनक जबाब नहीं दिया। लोगों ने बताया कि चुनाव आयोग मोदी साह के हाथों का कठपुतली बनकर रह गया है।
चुनाव आयोग अब हरियाणा और महाराष्ट्र के तर्ज पर बिहार में भी विशेष मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की आर में बहुत बड़ा खेला करने वाली है। लेकिन ये बिहार है, बिहार की जनता आसमान में उड़ती चिड़िया को भी चुना लगाना जानती है। नेताओं ने कहा कि राजद परिवार विनम्रता से चुनाव आयोग को चेतावनी देते हुए कहा कि सत्ता तो आती है, जाती है, आप क्यों भाजपा की गुलामी क्यों करते हैं? क्या आप लोग भी अकुत संपत्ति अर्जित किया है। आप को भी कहीं सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स की छापामारी का डर तो नहीं सता रहा है।
आप जब तक कुर्सी पर बैठे हैं, सत्ता की गुलामी नहीं, लोकतंत्र और संविधान की गुलामी करिये। जब विपक्ष बोलता है, तो दुःख होता कि पहली बार इतने बड़े पैमाने पर मात्र एक माह में विशेष गहन पुनरीक्षण का निर्णय लेने वाले कौन हैं। नेताओं ने दावा किया है कि इस निर्णय से चुनाव आयोग के विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। बीस प्रतिशत मतदाताओं को मतदान से वंचित करने की नाकाम कोशिश का मूंह तोड़ जवाब दिया जायेगा। नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के सभी नेताओं के साथ 9 जुलाई को बिहार बंद का एलान किया है, जो एतिहासिक होगा।
लोगों ने कहा कि बिहार का अधिकांश भाग बाढ़ प्रभावित इलाकों में गिना जाता है। हर साल बाढ़ के पानी में लोगों का बक्सा पेटी डुबाता है, लोगों को घर द्वार से बेदखल होना पड़ता है। बाढ़ के पानी समाप्त होने पर एक बार फिर से घर बनना और अपना आशियाना बना पड़ता है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग बड़ी मुश्किल से जीवन यापन करते हैं। वैसे लोगों के लिए कागज या आवश्यक कागजात संभाल कर रखना कितना मुश्किल होगा केवल महसूस ही किया जा सकता है।
इस तानाशाही रवैया को भाजपा के इशारे पर जनता थोपने वाले चुनाव आयोग को चुनाव आयोग कार्यालय में नहीं भाजपा कार्यालय में बैठकी लगानी चाहिए। नेताओं ने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भीतर-भीतर ही अपने मतदाताओं के लिए टोली बनाकर काम कर रहा है, जबकि अन्य विपक्षी पार्टी के नेता भाषणबाजी करते नजर आ रहे हैं। एक भी कार्यकर्ता जनता को सहयोग करने धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं। नेताओं ने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को आह्वान करते हुए कहा है कि विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक बूथ पर अधिक-से-अधिक लोगों के बीच जाकर विशेष गहन पुनरीक्षण के नाम पर मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से नहीं हटे, इसके लिए सजग रहने की आवश्यकता है।