खबर दस्तक
मधेपुर/मधुबनी :
मधुबनी जिले के मधेपुर में मजदूर-किसान सम्मेलन आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन गांव के प्राथमिक विद्यालय परिसर में मंजू हांसदा की अध्यक्षता एवं संचालन समाजसेवी देवनाथ देवन ने किया।
सम्मेलन में पचमनियां गांव की आदिवासी समाज की एतिहासिक पृष्ठभूमि पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए देवनाथ देवन ने किसान मजदूरों को कहा कि याद करना है कि 26 जून 1975 को देश में आपतकाल (इमर्जेन्सी) लागू हुआ था। 27 जून को पचमनियाँ में गोली चली थी, जिसमे चार लोगो की जान गई थी एवं अन्य घायल हुए थे। एक लाश तीन दिन बाद मकई खेत में मिला था। इसलिए उन दिनों का दैनिक अखवार आर्यावत में खबर छपी थी। तीन दिनों तक लाश मिलता रहा।
लोक नायक जयप्रकाश ना० सहित देश के नेतागण गिरफ्तार हो गए, कोई किसी को देखने वाला नही रहा। पचमनियाँ के सभी आदिवासी अभी-अभी बकसर जेल से बाहर आए ही थे, फिर सभी को गिरफ्तार कर मधुबनी जेल भेज दिया गया था। गाँव में किसी पुरुष साथी को नही रहने के बावजूद पाँच महिना बाद पुरे बस्ती को लूट लिया गया। फिर बस्ती को आग के हवाले कर दिया गया। उस समय की नेत्री महिला चम्पा देवी जिलाधिकारी से मिली। डीएम आए लेकिन दबंग राजनेताओं के दबाव में डीएम कुछ न कर सके। एक टीम एस.पी. और एस.डी.ओ. का बना दिए जाँच हुआ।
लेकिन जगरनाथ मिश्रा की सरकार में मुकदमा वापस ले लिया, किसी आतताई कि गिरफ्तारी नही हो सका। समय बीता सरकार बदली तब से अब तक अनेक सरकारे आई और गई भी। अनेक अच्छे-बुरे पदाधिकारी आये और गये भी, लेकिन वर्तमान केन्द्र और राज्य सरकारे अघोषित इमर्जेन्सी (अपातकाल) लगाई हुई हैं पचमनियाँ एवं ऐसे छोटे-छोटे किसान संगठनो को कौन पुछे, बड़े-बड़े किसान संगठन और लंबा-लंबा संघर्ष को घत्ता वत्ता रही हैं। पदाधिकारीओं का ही राज्य हैं, आम जनता को कौन पुछे?
एम.एल.ए, एम.पी. को भी पदाधिकारी नहीं सुनते हैं। शायद सभी पदाधिकारिओं का सीधा मुख्यमंत्री से ही सम्पर्क हैं। इसपर से सर्वे में सबुत मांगा जा रहा है और सबुत निकालने में लाप्रवाही नही मनमानी हो रही है। क्या मजदूर, क्या किसान, क्या बड़ा, क्या छोटा सब परेशान हैं एम.एस.पी. न्यूनतम मूल्य में खरीद कोई भी किसानों का अनाज नहीं खरीदा जाता हैं। योजनाओं में लूट मचा हुआ है। सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ दलालो को ही मिलता है। मनरेगा में जे.सी.बी. से काम किया जाता है।
रोजगार हेतु वर्षों से नौजवान परीक्षा देते आ रहे हैं, और वार-वार प्रश्नपत्र की घपलेवाजी हो जाती हैं, सरकार भी है, ऐसा दिखता नही है। पदाधिकारी नही कर्मचारी, किरानी का राज्य चल रहा है सभी परेशान हैं इसलिए आइऐ, इन सभी समस्याओं पर हम सब मजदूर किसान, छात्र नौजवान मिलकर विचार बिमर्श करेंगे। इस सम्मेलन को रामाशीष रमण, वकील यादव, अजय कुमार अमर, रामसुदिष्ट यादव, उमेश राय, विद्यानंद शास्त्री, सुरेश हांसदा, सदानंद हांसदा, सुनील यादव, महावीर पासवान, शशि कांत मंडल सहित अन्य ने संबोधित किया।

